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शब्दार्थ वाले को सं० वैसे ही से० अथ के० कैसे गो० गौतम ज० जैसे व० वस्त्र अ० नहीं भोगवा हुवा धो० ।
Pos धोया हुवा त० तंतुमें रहा. हुवा आ० अनुक्रम से प. भोगवते हुवे स० चारों तरफ से पो० पुद्गल ब०१० Vवधाते हैं स० चारों तरफ से पो० पुद्गल चि० चयहोते हैं उ० उपचय होते हैं जा. यावत् १० परिणमते हैं ते० इसलिये ॥ १ ॥ से० अथ भ० भगवन् अ० अल्प आश्रा वाले को अ० अल्प कर्म वाले को
की ७५९ सूत्र दुक्खत्ताए नो सुहत्ताए, भुजो भुजो परिणमंति ? हंता गोयमा ! महाकम्मरस तंचव
सेकेणटेणं ? गोयमा ! से जहा नामए वत्थस्स अहतस्सवा, धोयस्सवा, तंतुगया । स्सवा आणुपुबीए परि जमाणस्स सव्वओ पोग्गला बझंति, सव्वओ पोग्गला चिजंति, जाव परिणमंति सेतेण?णं ॥ १ ॥ सेणूणं भंते ! अप्पासवस्स अप्प
कम्मस्स, अप्पकिरियस्स, अप्पवेयणस्स, सव्वओ पोग्गला भिजंति,सव्वओ पोग्गला । जैसे उपयोग में नहीं लाया हुवा, धोया हुवा अथवा तुरीवेमादिक ( साल) से मात्र निकाला हुवा ऐसा वन को भोगते हुवे उस में मलिन पुगलों का बंध, चय; व उपचय होता है और वह वस्त्र भी खराब) 0
वर्णपने.याक्त वारंवार परिणमता है. वैसे ही महाकर्म, महाआश्रयवाले को संचित किये हुवे पुद्गलों दुष्ट ०७वर्णपने यावर वारंवार परिणमते हैं ॥१॥ अहो भगवन् ! अल्प कर्मवाले, अल्प आश्रववाले, अल्प
क्रियावाले व अल्प वेदमावाले पुरुष को सब दिशि के पुद्गलों क्या भेदाते हैं. छेदस्ते हैं, विध्वंस होते हैं ।
298 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 488
छठा शतक का तीसरा उद्देशा +8+
भावार्थ