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शब्दार्थ * म. महानिर्जरा वाले छ• छठ्ठी स० सातमी पु० पृथ्वी में ने० नारकी म० महावेदनावाले अ० ।
अल्प निर्जरा वाले से शैलेशी ५० प्रतिपन्न अ० अनगार अ० अल्प वेदनावाले म० महानिर्जरा वाले अ० अनुत्तरोपपातिक दे देव अ० अल्प वे० वेदना वाले अ० अल्प निर्जरा वाले से०१७ | वैसे ही भ० भगवन् म. महावेदना व० वन क० कीचड ख० खंजन अ० एरण त० तृण ह. हस्त क. .
गारे महावेयणे महानिज, छट्ठसत्तमासु पुढवीसु नेरइया महावेयणा अप्पनिजरा, } सेलेसि पडिवण्णए अणगारे अप्पवेयणेरे महानिजरे, अणुत्तरोववाइया देवा अप्पवेयणा अप्पनिजरा ॥ सेवं भंते भंतेत्ति ॥ महावेयणायवत्थे, कद्दम खंजण ॥
कएय अहिकरणी, तणहत्थयकवल्ले, करण महावेयणा जीवा ॥ सेवं भंते , भावार्थ 1 हैं ? अझे गौतम ! प्रतिमा अंगीकार करनेवाले अनगार महा वेदनावाले व महा निर्जरावाले होते हैं,
क्योंकि बारह प्रकार की प्रतिमा अंगीकार करते अनेक प्रकार के कष्ट उपसर्ग होते हैं. २ छठी सातवी नरक के नारकी महा वेदनावाले व अल्प निर्जरावाले हैं ३ शैलेशी प्रतिपन्न चौदहवे गुण स्थान में रहनेवाले अनगार अल्प वेदनावाले व महा निर्जरावाले हैं और ४ सर्वार्थ सिद्ध विमान के देवता अल्प वेदना व
अल्प निर्जरावाले हैं. इस उद्देशे का सारांश. महा वेदना का अधिकार, कर्दम व खंजनवाले दो वस्त्रका 15 द्रष्टांत, लोहार की ऐरण, तृण व तत लोहेका दृष्टांत, चार करण का अधिकार, वेदना निर्जराकी चौभंगी.
(भगवती) विवाह पण्णत्ति पंचमाङ्ग
48488% छठा शतक का पहिला उद्देशा •*