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शब्दार्थ
श्री अमोलक ऋषिजी अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि
करण से सा० साता वे वेदना वे० वेदते हैं ॥ ६॥ जी. जीव किं. क्या म० महावेदना वाले म.* महानिर्जरा वाले म० महावेदना बाले अ० अल्प निर्जरा वाले अ० अल्प वेदना वाले म० महानिर्जरा वाले अ० अल्प वेदना वाले अ. अल्प निर्जरावाले गोगौतम अ० कितनेक जी० जीव म० महावेदनावाले ० महानिर्जग वाले के कैसे ५० प्रतिमा ५० प्रतिपन्न ( सहित ) अ० अनगार म० महावेदनावाले
७५४ सव्वे सुभासुभेणं वेमायाए, ॥ देवा सुभेणं सायवेयणं वेदति, ॥ ६ ॥ जीवाणं भंते किं महावेयणा महानिजरा, महावेयणा अप्पनिजरा, अप्पवेयणा महानिजरा, अअप्पवेयणाअप्पनिजरा? गोयमा ! अत्थेगइया जीवा महावेयणा महानिज्जरा, अत्थेगइया जीवा महावेयणा अप्पनिजरा, अत्थेगइया जीवा अप्पवेयणा महानिजरा, अत्थेगइया
जीवा अप्पवेयणा अप्पनिजरा ॥ से केणट्रेणं ? गोयमा ! पडिमापाडवण्णए अणकर्म वेदते हैं ॥ ६ ॥ अहो भगवन् ! क्या जो जीव महा वेदनावाला होता है वह महा निर्जरावाला होता है, महा वेदनावाला अल्प निर्जरावाला होता है, अल्प निर्जरावाला महा वेदनावाला होता है, या अल्प वेदनागला अल्प निर्जरावाला होता है ? अहो गौतम ! कितनेक जीव महा वेदनावाले व महा निर्जरावाले हैं, कितनेक महा वेदनावाले व अल्प निर्जरावाले हैं, कितनेक अल्प वेदनावाले व महान निर्जरावाले हैं, और कितनेक अल्प वेदनावाले व अल्प निर्जरावाले हैं. अह) भगवन ! यह किस तरह
* प्रकाशक-राजीबहादुर लाला मुखदेवसहायजी घालाप्रसाद
भावार्थ