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________________ शब्दार्थ श्री अमोलक mmmmmm काय करण क० कर्म करण ॥४॥ ने नारकी भं० भगवन् कि क्या क. करण से अ. असाता वे. वेदना वेष्वेदते। अ० अकरण से अ० अमाता वेदना वे वेदते हैं के कैसे गो. गौतम ने०१ नारकी को च० चार प्रकार के क. करण म० मन करण व वचन करण का काया करण क. कर्म करण इ० इन च०चार प्रकार के अ० अशुभ करण से ने० नारकी क. करण से अ० असाता वे वेदना वे. वेदते हैं जो नहीं अ० अकरण से ते. इसलिये ॥५॥ अ० असरकुमार कि क्या क. विगलिंदियाणं वइकरणे कायकरणे कम्मकरणे, ॥ ४ ॥ नेरइयाणं भंते ! किं करणी असायं वेयणं वेदंति, अकरणओ असायं वेयणं वेदति ? गोयमा ! नेरइयाणं करणओ असायं वेयणं वेदति णो अकरणओ असायं वेयणं वेदति ॥ से केणट्रेणं ? गोयमा ! नेरइयाणं चउविहे करणे प० तंजहा-मण करणे, वइकरणे, काय करणे कम्म करणे, इञ्चेतेण चउविहेणं असुभेणं करणेणं नेरइया करणओ असायं वेयणं वेदति णो अकरणओ से तेणट्रेणं ॥ ५॥ असुरकुमाराणं किं करणओ अकरणओ ? गोयमा ! असाता वेदना नहीं वेदते हैं. अहो भगवन् ! किस कारन से नारकी करण से असाता वेदना वेदते हैं. परंतु अकरण से नहीं वेदते हैं ? अहो गौतम ! नारकी को मन, वचन, काय व कर्म ऐसे करण रहे हुवे हैं. इन चार अशुभ करण से नारकी असाता वेदना वेदते हैं॥५॥ अहो भगवन् : क्या असुर * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादी * भावार्थ 48 अनुवादक-बालब्रह्म
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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