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________________ शब्दाथ धोयाजावे सु० सरलतासेरंगनीकाला जावे सु. पराक्रम वाले जे. जो से उस को व० वस्त्र क० कर्दम | के रा. रंग से र० रंगाया हुवा ज० जो से वह व० वस्त्र खं० खंजन के रा० रंग से र० रंगाया हुआ भ० भगवन् त उस में जे. जोक. कर्दम राम से र० रक्त ए. ऐसे गो० गौतम ने नारकी को पा०१७ पापकर्म गा• दृढ क० किये हुवे चि० चिकनें किये हुए सि० निधत्त किये हुए खि० निकाचित किये हुए है। सं० दृढ ते वे वे वेदना वे० वेदते हुए णो नहीं म० महानिर्जरा नो० नहीं म० भहा पर्यवसान वाले मेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माइं गाढीकयाई, चिक्कणी कयाई, सिढिलीकयाई, खिलीकयाइं भवंति, संपगाढंपियणं ते वेयणं वेएमाणा णो महानिजरा, नो . महापजवसाणा भवंति, ॥ से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणिं आउडेमाणे महया महया , सहेणं महया र घोसेणं, महया२ परंपराधाएणं णो संचाएइ तीसेअहिगरणीए अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए ॥ एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माइं गाढीकयाई । वस्त्रों में से कौनसा वस्त्र कठिनता से धोया जाता है, कौनसा वस्त्र का रंग कठिनता से नीकाला जाता है, और कौनसा वखं धोने में पराक्रम करना पडता है ? ऐसे ही कौनसा वस्त्र सरलता पूर्वक धोया जाता है, 16 रंग निकाला जाता है व कौनसा वस्त्र धोने में पराक्रम नहीं करना पड़ता है ? अहो भगवन् ! नो बन ६... कर्दम से भरा हुवा है वह कठिनता से शुद्ध हो सकता है. ऐसे ही अहो गौतम! नरक के जीवों को पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 38:00 छठा शतकका पहिला उद्देशाg428 mmmmmmmmmmmmmm -
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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