________________
शब्दा० जो म० महावेदनावाले जा. यावत् प० प्रशस्त निर्जरा वाले से० अथ ज० जैसे दु• दो व० वस्त्र
०सि० होवे ए. ऐक व० वस्त्र क० कीचड के रा. रंगसे र० रक्त ए० एक व० वस्त्र खं० गाडेका खंजन
के रा. रंगसे २० रक्त ए० इन दोदोनों व वन में क. कौनसा व. वस्त्र द० कठिनतासे धोयाईन
जावे दु० कठिनता से रंग नीकाला जावे द० बहत पराक्रम क. कौनसा व. वस्त्र मु० सरलता से व वत्थे दुधोयतराए चेव दुवामतराए चेव, दुपरिकम्मतराए चेव, कयरे वा वत्थे ई सुधोयतराए चेव, सुवामतराए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव, जेवा से वत्थे
कहमरागरते जेवा से वत्थे खंजणरागरत्ते, भगवं ! तत्थणं जे से कद्दम
राग रत्ते सेणं वत्थे दुधोयतराए चेव, दुवामतराए चेव दुपरिकम्मतगए चेव, एवा
गौतम ! वे महा वेदनावाले हैं. अहो भगवन् ! तब क्या वे श्रमण निम्रन्थ से महा निर्जरावाले हैं ? भावार्थ अर्थात् वे महा निर्जरा करते हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ योग्य नहीं है अर्थात् छठी सातवी नरक में
नारकी महा वेदना भोगते हुवे महा निर्जरा नहीं करते हैं. तब अहो भगवन् ! यह किस अपेक्षासे कहा है कि जो महा वेदनावाला होता है वह महा निर्जरावाला होता है यावत् जिन को प्रशस्त निर्जरा होती है वह श्रेय है ? अहो गौतम ! जैसे एक कर्दम (कीचड) से भरा हुवा और दूसरा दीपक की कालिमा समान काला गाडे के खंजन से भरा हुवा ऐसे दो वस्त्र होवे. अब अहो गौतम ! उक्त दोनों
42 अनुवादक-बालअामचरािमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *