SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 756
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ | भावार्थ अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी - व० जा० यावत् च० चतुरेंन्द्रिय अ० अवशेष स० सब व० बढते हैं हा० हीन होते हैं. त० तैसे अ० अवस्थित का ना० भिन्नता इ० यह स० संमूच्छिम ति० तिर्येच पंचेन्द्रिय दो० दो अ० अंतर्मुहूर्त ग० गर्भ उत्पन्न के च० चौवीस मु० मुहूर्त सं० संमूच्छिम म० मनुष्य का अ० अडतालीस मु० मुहूर्त ग० गर्भज म० मनुष्य का च० चौवीस मु० मुहूर्त वा वाणव्यंतर जो० ज्योतिषी सो० सौधर्म ई० ईशान में अ० अडतालीस मु० मुहूर्त स० सनत्कुमार में अ० अठारह रा० रात्रिदिन च० चालीस मु० मुहूर्त मा० माहेजहणं एवं समयं उक्कोसं दोअंतोमुहुत्ता एवं जाव चउरिदिया, अवसेसा सव्वे, व ंति हायंति तहचेव अट्ठियाणं नाणत्तं इमं तं जहा संमुच्छिम पंचिदिय तिरिक्ख जोणियाणं दो अंतोमुहुत्ता, गब्भवक्कतियाणं चउव्वीसं मुहुत्ता, संमुच्छिम मणुस्साणं अटुचत्तालीसं मुहुत्ता, गन्भवक्वतिय मणुस्साणं चउव्वीसं मुहुत्ता, वाणमंतरजोइस सोहम्मीसाणेसु अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, सणकुमारे अट्ठारस राईदियाई चत्तालीसय मुदो अंतर्मुहूर्त. संमूर्छिम तिर्यच पंचेन्द्रिय का चौवीस मुहूर्त, संमूर्छिम मनुष्य का ४८ मुहूर्त, गर्भज मनुष्य का चौवीस मुहूर्त, वाणव्यंत ज्योतिष सौधर्म व ईशान देवलोक में ४८ मुहूर्त, सनत्कुमार में अढार रात्रि (दिन, व चालिस मुहूर्त, माहेन्द्र में २४ रात्रि दिन १० • मुहूर्त, ब्रह्मदेवलोक में ४५ दिन, लंतक में १० दिन महाशुक्र में १३० दिन सहसार में २०० आणत प्राणत में संख्यात रात्रिदिन आरण अच्युत में संख्यात वर्ष * प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * ७२६
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy