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सूत्र है दवओ नियमा सपएसे, कालओ भयणाए, भावओ भयणाए, जहा दव्यओ तहा
कालओ, भावओवि॥४॥एएसिणं भंते ! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं खेत्तादेसेणं,कालादेसेणं, भावादेसेणं सपएसाणं अपएसाणय कयरे कयरे जाव विसेसाहिया वा ? नारयपुत्ता! सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेणं अपएसा, कालादेसेणं अपएसा, असंखज्जगुणा दब्धादसेणं अपएसा असंखेजगुणा, खेत्तादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, खेत्तादेसेणं
चेव सपएसा असंखजगुणा, दव्वादेसेणं सपएसा विससाहिया, कालादेसेणं सपएव भाव में भजना होती है अर्थात् क्वचित् सप्रदेशी है व क्वचित् अप्रदेशी है. जैसे द्रव्य का आलाEपक कहा पैसे ही काल व भाव का जानना. अर्थात् जो काल से सप्रदेशी है यह द्रव्य क्षेत्र व भाव
से समदेशी अप्रदेशी है और जो भाव से सप्रदेशी है वह द्रव्य क्षेत्र व काल से सप्रदेशी अप्रदेशी दोनों है॥४॥
अो पूज्य ! इन द्रव्यादेश, क्षेत्रादेश, कालादेश व भावादेश से सप्रदेश व अप्रदेश में कौन किस से}ogo Fअल्प, बहुत यावत् विशेषाधिक हैं ? अहो नारद पुत्र ! सब से थोडे भावादेश से अप्रदेशी, कालादेशसेX
अप्रदेशी असंख्यात गुने, द्रव्यादेश से अप्रदेशी असंख्यात गुने, क्षेत्रादेश से अप्रदेशी असंख्यात गुने, क्षेत्रादेश से सप्रदेशी असंख्यात गुने, द्रव्यादेश से सप्रदेशी विशेषाधिक, कालादेशसे सप्रदेशी विशेषाधिक,
सूत्र Bag [ङ्ग विवाह षण्णात्ति ( भगवती)
Naggi2-पांचवा शतकका आठवा उद्देशा 82387