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शब्दार्थ र कारी स्थान चि० क्यारे के आकार वाले स्थान अ० कूप त• तलाव द० ट्रह न• नदी वा० वावि पु०
पुष्करणी दी. लम्बी वावि गुं० चक्राकार वापि स० सरोवर स० सरोवर की पं० पंक्ति स० छोटे तलावों की पंक्ति बि• बिल पंक्ति आ० खेलने का बगीचा उ० उद्यान का० बन ५० वन व० वनखंड
ओ, परिग्गहियाओ भवंति, आरामुजाण-काणणा-वणा-वणखंडा वणराईओ-परिग्गहियाओ भवंति ॥ देवउल-सभ-पव्व-थभ-खाइय. परिखाओ-परिग्गहियाओ भवंति, पागार डालग-चरिय-दार-गोपुर-परिग्गहिया भवंति, पासाय-घर-सरण-लेण-आवण-पारिग्गहि. या भवंति, सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहा-परिग्गहिया भवंति, तालाव, तालाब की पंक्ति, छोटे तालाव, छोटे तालाब की पंक्ति, बिलों की पंक्ति, आमि, उद्यान, कानन , वन, वनखंड, वनराजी, देवालय, सभा स्थान, पर्वत, स्तूप, खाई, परिखा, कोट, कोट की उपर के अटारी, चरिको, द्वार, गोपुर, प्रासाद, गृह, तृणका गृह, आश्रय स्थान, दुकान. शृंगाटकके आकार का मार्ग,
४ जिस में दंपत्यादि क्रीडा करते हैं उसे आराम कहते हैं. ५३ उत्सवों के प्रसंग में बहुत जनों A को भोग्य पुष्पवाले वृक्षों जिस में रहे हुवे होवे ६ नगर की पास का वन. ७ नगर से बहुत दूर का वन ८ एक जाति के
वृक्ष समुहवाला स्थान ९ वृक्ष की पंक्ति १० ऊंचे नीचे सब स्थान सरिखी ११ गृह के कोट में हस्ती । । प्रमुख को जाने का द्वार.
पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 328
<382 पांचवा शतक का सातवा उद्देशा Nagin
भावाथे