SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 713
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ कि० क्रिया गो० गौतम जा जितने में से वह पु० पुरुष ध धनुष्य ५० ग्रहण करता है जा० यावत् ० उ०बाण उ०छोडता है ताउतने में से उस पु० पुरुष को का• कायिकी जायावत् पा. प्राणातिपाति की 4 इकि० क्रिया पं०पांच कि० क्रिया से पु० स्पर्शाया जे. जिन मी०जीवों के स० शरीर से ध० धनुष्य नि.१४० बनाया ते० वेभी जी० जीव का० कायिकी जा० यावत् पं० पांच कि० क्रिया से पु० स्पर्शाये ए. ऐसे। ध० धनुष्यपीठिका पं० पांच क्रियाओं से जी० जीव्हा पं० पांच पहा. तांत पं० पांच से उ० बाण पं० से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए पंचहिं किरियाहिं पुढे ॥ जेसिं । पियणं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए तेवियणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, एवं धणुपिटे पंचहि. किरियाहिं, जीवा पंचहिं, हारु पंचहिं, उसू पंचहिं सरे पत्ताणे फले ण्हारु पंचहिं, अहेणं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए, भारियत्ताए गुरुयसं भावार्थ उत्पन्न करे, एक स्थान से अन्य स्थान चलावे व जीवित से पृथक करे. उस समयमें उस बाण छोडनेवाले पुरुष को अहो भगवन् ! कितनी क्रियाओं कही ? अहो गौतम ! जहांलग उस पुरुषने धनुष्य उठाया यावत् 0 बाण छोडा वहांलग उस को पांच क्रियाओं हावे. कायिकी, अधिकरणकी, प्रवेषिकी, परितापनिकी, of व प्राणातिपातिकी. और जिन जीवों के शरीर से धनुष्य बना हुवा है; उन जीवों को भी कायिकादि पांच क्रियाओं लगती है. ऐसे ही जिन जीवों से धनुष्य्पीठिका, जिव्हा, तांता, वाण, पांखों. व आगे । पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र <802802 38-40288 पांचवा शतक का छटा उद्देशा
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy