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________________ शब्दार्थ भावार्थ | 48 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 436+ OYO क० कितने कुं० कुलकर हो० थे गो० गौतम स० सात ए० ऐसे तीर्थकर मा० माता पिं० पिता प० प्रथम सि० शिष्या च० चक्रवर्ती मा० मता इ० स्त्री रत्न ब० बलदेव वा० वासुदेव मा० माता पि० पिता ए० इन के १० प्रतिशत्रु ज० जैसे स० समवायांग में ना० नाम की प० परिपाटी ने० जानना ॥ ५ ॥ ५॥ क० कैसे मं० भगवन् जी० जीव अ० अल्प आ० आयुष्यपने का क० कर्म १० करते हैं गो० जंबुद्दीवेणं भंते ! इह भारहेवासे इमीसे उसप्पिणीए समाए कइ कुलगरा होत्था ? गोयमा ! सत्त, एवं तित्थयरा मायरो पियरो पढमा सिस्सिणीओ, चक्कवही, मायरो, पियरो इत्थिरयणं, बलदेववासुदेवा, वासुदेव मायरो पियरो एएसें पडिसत्तू जहा समवाए नाम परिवाडी तहा यव्वा ॥ सेवं भंते भंतेत्ति जाव विहरइ || पंचम सयस्स पंचमो उद्देसो सम्मत्तो ॥ ५ ॥ ५ ॥ * कहणं भंते ! जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरंति ? गोयमा ! पाणे अइवाइत्ता, { में इस अवसर्पिणी में कितने कुलकर होते हैं ? अहो गौतमः ! सात कुलकर होते हैं. ऐसे ही तीर्थकर द उनके माता, पिता प्रथम शिष्य व शिष्या चक्रवर्ती, व उनके माता, पिता, स्त्री रत्न बलदेव वासुदेव व उन के माता, पिता व प्रतिशत्रु [ प्रतिवासुदेव ] का अधिकार जैसे समवायांग सूत्र में कहा है वैसे ही यहां जानना. अहो भगवन् ! आप के वचन सत्य हैं. यह पांचवा शतक का पांचवा उद्देशा पूर्ण हुवा ॥५॥५॥ पांचवे उद्देशे के अंत में उत्तम पुरुषों के नामों कहे हैं. अब उत्तमता व अधमता किस तरह से प्राप्त * * पांचवा शतकका छठा उद्देशा 48488 ६७३
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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