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शब्दार्थ
सूत्र
भावार्थ
08 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋाजी
बोले क० कौनसी भा० भाषा भा० बोलाती हुई वि० विशिष्ठ होवे गो० गौतम दे० देव अ० अर्ध मागची भा० भाषा भा० बोले स० वही अ० अर्थ मागवी भा० भाषा भा० बोलाती हुई वि० विशिष्ट होवे ॥ १५ ॥ के० केवली भ० भगवन् अं० अंतकरने वाले अ० अंतिम शरीर वाले को जा० जानते हैं पा० देखते हैं ० हां गो० गौतम जा० जानते है पा० देखते हैं ज जैसे भ० भगवन के० कंवली अं० भंते ! कराए भासा भासंति, कयरा वा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सइ ? गोपमा ! देवाणं अब मागाए भासाए भासंति, सावियणं अर्द्धमागहा भासा भासिजमाणी विसिस्सइ | केवलीणं भंते ! अंतकरंवा अंतिमसारीरियंवा जाणइ पासइ ? हंता गोयमा ! जाणति पासति ॥१५॥ जहाणं भंते केवली अंतकरंवा अंतिमसारीरियंत्रा जाणइ पाणइ, तहाणं छउमत्थेवि अंतकरंवा अंतिमसारीरियंवा जाणइ पासइ ? बोलने से विशिष्टता पाते हैं ? अहां गौतम ! देवों अर्धमागध भाषा बोलते हैं और अर्धमागध भाषा बोलते हुवे विशिष्ठता पाते हैं || १५ || अहो भगवन् ! केवली अंतकरनेवाले अथवा अंतिम शरीरवाले है को जाने देखे ? हां गौतम ! केवली अंतकरनेवाले व अंतिम शरीवाले को जाने देखे. { जैसे केवली अंत करनेवाले व अंतिम शरीरी को जानते देखते हैं वैसे ही { जानते देखते हैं ? अहो गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं हैं. छद्मस्थ सुनकरके व प्रमाण से जानते
अहो भगवन् !
क्या छद्मस्थ
* प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी
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