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शब्दार्थ+अर्थ स० योग्य ह० हां अ० है ० इसलिये ग० जा गो० गौतम ए० ये ( वा० प्रश्नों वा कहेंगे त तब भ० भगवान गो० गौतम स० श्रमण भ० आज्ञा होते स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर को वं० वंदना की ण० वे दे० देव ते० तहां पा० नीकला ग० जाने को त० तब ते० वे दे०
सूत्र
भावार्थ
48 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
दे० देव इ० इन ए० ऐसे भगवन्त म० महावीरें की अ नमस्कार किया जे० जहां ते० देव भ० भगवन्त गो० गौतम
को ए० आते हुवे पा० देखा ह० दृष्ट तुष्ट जा० यावत् हि० हृदय खि० शीघ्र अ० उपस्थित
भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णेसमाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, जेणेव ते देवा तेणेव पाहारेत्थगमणाए ॥ तपुणं ते देवा भगवं गोमं एजमाणं पासइ हट्ट तुट्ठ जाव हियया खिप्पामेव अब्भुट्ठेति २ त्ता, खिप्पामेव पच्चुवगच्छंति, जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छति २ जाव णमंसित्ता एवं वयासी भंते ! अम्हे महासुक्काओ कप्पाओ महासग्गाओ विमाणाओ दो देवा महि
( आज्ञा मीलने पर भगवान् गौतम स्वामी उक्त दोनों देवों की पास जाने को नीकले. उस समय में उक्त देवों भगवन्त श्री गौतम स्वामी को आते हुये देखकर हृष्ठ तुष्ट यावत् आनंदित होते हुए शीघ्र उपस्थित दुबे और भगवन्त श्री गौतम स्वामी की पास गये. उन को नमस्कार कर ऐसा बोले कि अहो पूज्य
! हम
* प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
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