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शब्दार्थ प० होता है ज. जैसे ना० वर्ष का अ० अभिलाप त तेसे हे. हेमंत का गि० ग्रीष्म का भी भा०
कहना जा० यावत् उ० ऋतु ए० ऐसे ए०उन ति० तीन १० पद की साथ तीतीस आ० आलापक भा० गुण कहना ॥१३॥ ज०जब दा दक्षिण में प०प्रथम अ० अयन प० होती है त०तब उ०उत्तरार्ध में प०प्रथम अ अयन प० होती है ज• जैसे स० समय का अ० अभिलाप त० तैसे अ० अयन से भा० कहना जा० 06हेमंताणं पढमे समए पडिवजइ, जहेव वासाणं अभिलायो तहेव हेमंताणवि गिम्हाणवि भाणियब्वो जाव उऊ ॥ एवं एए तिण्णिवि पएसिं तीसं आलावगा भाणियन्वा ॥ १३ ॥ जयाणं भंते ! जंबू दाहिणड्डे पढभे अयणे पडिवज्जइ, तयाणं
उत्तरद्वैवि पडमे अयणे पड़िवजइ, जहा समएणं अभिलावो तहेव अयणेणवि भावार्थ मेरु पर्वत की उत्तर, दक्षिण में हेमन्त ऋतु का प्रथम समय होता है तब क्या पूर्व पश्चिम में अनंतर अ
नागत काल में हेमन्त का प्रथम समय होता है ? अहो गौतम ! जैसे वर्षा ऋतु का कहा, वैसे ही हेमन्त
ऋतु का जानना. और ऐसे ही ग्रीष्म ऋतु का जानना. इस तरह तीन ऋतु की साथ ममयादिक के & तीस आलापक हुए ॥ १३ ॥ अहो भगवन् ! जब दक्षिण व उत्तर विभाग में अयन होती है तब क्या 5 पूर्व पश्चिम में अनंतर आगामिक अयन होती है ? हां गौतम ! इस का सब कथन समय जैसे' कहना
- पंचमांग विवाह पण्णति ( भगवती) मूत्र
पांचवा शतक का पहिला