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शब्दार्थ
सूत्र
भावार्थ
48 अनुवादक - बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
* प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहाबजी ज्वालाप्रसादजी *
ईवा वर्षा का प० प्रथम स० समय प० हुवा भ० होता है. ई० हां गो० गौतम ज० जब जं० जम्बू मंत्र मेरु पु० पूर्व में ए० ऐमे उ० कहना जा ० यावत् प० हुवा भ० होवे ए० ऐसे ज० जैसे स० समय से अ० {अभिलाप भा० कहा व० वर्षा का तः तैसे आ० आवलिका से भा० कहना आ० श्वासोश्वास थो० थोव ल० लव सु० मुहूर्त अ० अहोरात्र प० पक्ष मा० मास उ० ऋतु से ए० इन स० सब से ज० जैसे (स० समय का अ० अभिलाप त० तैसे भा० कहना ।। १२ ।। ज० जब हे ० हेमंत का प० प्रथम स० समय समयंसि वासाणं पढमे समए पडिवण्णे भवइ ? हंता गोयमा ! जयाणं जंबूमंदर पुरच्छिमेणं एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव पाडवण्णे भवइ, एवं जहा समएणं अभिलावो भणिओ वासाणं तहा अवलियाएव भाणियव्त्रो, आणा पाणूणवि, थोत्रेणवि, लवेवि, मुहुत्तेवि, अहोरतेणवि, पक्खेणवि, मासेणवि, उऊणावि । एएसिं सव्वेसिं ..जहा समयस्स अभिलावो तहा भाणियव्वो ॥ १२ ॥ जयाणं भंते ! जंबूदीवेदीवे अनंतर अतीत काल में वर्षा का प्रथम समय होता है. अर्थात् प्रथम दक्षिण उत्तर विभाग में वर्षा काल: होता है फीर पूर्व पश्चिम में होता है. ऐसे ही जैसे समय का कहा वैसे ही आवलिका," श्वासोश्वास, स्तोक, लव, मुहूर्त, अहोरात्रि, पक्ष, मास व ऋतुका जानना || १२ || अहो भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के
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