________________
शब्दार्थ
48 अनुसदक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक
दिवस सा० कुछ अधिक चो० चौदह मुहूर्त रा० रात्रि ५० पन्नरह शेष पूर्ववत् ॥ ९ ॥ १० ॥ ज० जब ज० जम्बूद्वीप के दा० दक्षिणार्ध में पा० वर्षा का प० प्रथम स० समय १० होता है त. तब उ० उत्तराध में भी वा० वर्षा का प०प्रथम समय प०होता है ज जब उ० उत्तरार्ध में वा० वर्षा का ५० प्रथम स० समय प० होता है त० तब जं० जम्बूद्वीप में मं० मेरु की पु० पूर्व में प० पश्चिम में अ. अनंतर पु० आमामिक स० समय में बा० वर्षा का ५० प्रथम स० समय प० होता है ई. हां गो. गौतम ज० जब
पञ्चत्थिमेण वि जयाणं पञ्चत्थिमेण वि तयाणं जंबू मंदर उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारस मुहुत्ता राई ? हंता गोयमा ! जाव राई भवइ ॥ १० ॥ जयाणं भंते ! जंबूद्दीवेदीवे दाहिणद्वे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तयाणं उत्तरद्वेवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, जयाणं उत्तरद्वे वासाणं पढमे
समये पडिवज्जइ तयाणं जंबूद्दीवेद्दीवे मंदर पुरच्छिमे पञ्चच्छिमेणं अणंतर है ? हां गौतम ! जब जम्बू मंदर की पूर्व पश्चिम में बारह मुहून का दिन होता है तब दक्षिण में अठारह * मुहून की रात्रि होती है ॥ १० ॥ अहो भगवत् ! जस जम्बूद्वीप के मेरु की दक्षिण में वर्षा ऋतु का प्रथम समय होता है तब उत्तर में वर्षा ऋतु का प्रथम समय होता है. जब उत्तर में वर्षाऋतु का प्रथम समय होता है तब क्या जम्बू मंदर की पूर्व पश्चिम में अनंतर आगामिक काल का वर्षाऋतु का प्रथम समय होता है ? हां गौतम ! जब उत्तर दक्षिण में वर्षा
wwwwwwwwwwwwwwwww
* मकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रमादजी*