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शब्दार्थ रात्रि स० सोलह मु० मुहूर्त का दि० दिन चो० चौदह मुहूर्त की रा० रात्रि सो० सोलह मु० मुहूर्नान्तर
रसमुहुत्ते दिवसे, पण्णरस मुहुत्ताराई पण्णरस मुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेग पण्णरस मुहूत्ता राई चोदसमुहुत्ते दिवसे सोलस मुहुत्ताराई। चोदसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा सोलस मुहुत्ता राई॥तेरस मुहुत्ते दिवसे सत्तरस मुहुत्ता राई ।तेरस मुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सत्तरस मुहुत्ता राई ।। जयाणं जंबू दाहिणड्डेजहण्णए दुवालस मुहुत्ते दिवसे भवइ तयाणं उत्तर द्वेवि। जयाणं उत्तरद्वे तयाणं जंबूद्दीवेदीवे मंदरस्स पुरच्छिम पञ्चच्छिमेणं उक्कोसिया अट्ठारस मुहुत्ता राई ? हंता गोयमा ! एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव राई भवइ ॥९॥
जयाणं भंते ! जंबू मंदर पुरच्छिमेणं जहण्णए दुवालस मुहुत्ते दिवसे भवति तयाणं भावार्थ से अधिक रात्रि, सोलह मुहूर्त का दिन चौदह मुहूर्त की रात्रि सोलह मुहूर्त से कुच्छ कम दिन; चौदह a.
महत से अधिक रात्रिः पनरह महतका दिन, पन्नाह मुहर्तकी रात्रि, पनरह महत में कुछ कम दिन व पनरह मुहूर्न से अधिक रात्रि चौदह मुहूर्त का दिन सोलह मुहून की रात्रि, चौदह मुहूर्त से कम दिन सोलह }og
मुहूर्न से अधिक रात्रि तेरह मुहूर्नका दिन सत्तरह मुहूर्नकी रात्रि.तेरह मुहूर्त से कम दिन व सत्तरह मुहूर्त से अधिक। alo रात्रि और बारह मुहूर्त का दिन व अठारह मुहूर्तकी रात्रि जानना. ॥ ९॥ अहो भगवन् ! जब जम्बू मंदर
की पूर्व में जघन्य बारह मुहूर्त का दिन है तब क्या उत्तर दक्षिण में उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त की रात्रि होती
विवाह पण्णत्ति (भग तो) मूत्र 4088+
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पांचवा शतकका पहिला उद्दशा
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