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________________ शब्दार्थ कहां गो० गौतम ज० जब ज० जम्बूद्वीप जा० जावत् रा० रात्रि भ० होती है ॥ ७ ॥ पूर्ववत् ।। ८ । ए०. ऐसे इ० इस क० क्रम से उ० कहना स० सत्तरह मु० मुहूर्त का दि० दिन ते० तेरह मु० मुहूर्त की रा० रात्रि भ० होती है स० सत्तरह मु० मुहूर्तान्तर दि. दिवस सा०अधिक ते० तेरह मु० मुहूर्त की रा० राई भवइ ? हंता गोयमा ! जयाणं जंबू जाव राई भवइ ॥ ७ ॥ जयाणं भंते ! ६०८ जंबू मंदरस्स पुरच्छिमेणं अट्ठारस मुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तयाणं पञ्चच्छिमेणं अट्ठारस मुहुनाणंतरे दिवसे भवइ, जयाणं पच्चच्छिमेणं अट्ठारस मुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ तयाणं जंबूमंदरउत्तर दाहिणेणं साइरेगा दुवालस मुहत्ता राई भवइ ?हंता गोयमा! जाव भवइ ॥८॥ एवं एएणं कमेणं उच्चारेयव्वं सत्तरस महत्ते दिवसे, तेरस मुहत्ता राई भवइ ।। सत्तरस मुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, साइरेगतेरसमुहुत्ता राई । सोलसमुहुत्ते दिवसे । चोदस महत्ता राई. सोलस महत्ताणंतरे दिवसे, साइरेग चोदस महत्ताराई ॥ पण्णभावार्थ में जब अठारह मुहूर्त से कम का दिन होता है तब पूर्व पश्चिम में बारह मुहूर्त से अधिक रात्रि होती है. ॥ ७ ॥ अहो भगवन् ! जब जम्बू मंदर की पूर्व पश्चिम में अठारह मुहूर्त के अंतर का दिन होता है तब क्या उत्तर दक्षिणमें बारह मुहूर्त से अधिक रात्रि होती है ? हां गौतम ! जब जम्बू मंदर के पूर्व पश्चिम में अठारह मुहूर्त के अंतर का दिन होता है तब वारह मुहूर्त से अधिक की रात्रि होती है. ॥ ८ ॥ ऐसे ही अनुक्रम से सत्तरह मुहूर्त का दिन तेरह मुहूर्त की रात्रि, सत्तरह मुहूर्त से कुछ कम दिन व तेरह मुहूर्न । लिब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी - प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदव सहायजी जालाप्रसादजी *
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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