SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 632
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थं । सूत्र भावार्थ 48 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋार्षजी - ०७ स्वामी पु० पधारे जा० यावत् प० परिषदा श्रमण भगवन्त म महावीर के जे० ज्येष्ट चंपा न ० नगरी से पू० पूर्णभद्र चे० उद्यान हो० या सा० प० पीछीगइ ॥ २ ॥ ते० उस काल ते० उस समय में स० अं• शिष्य इं· इन्द्रभूति अ० अनगार गो० गौतम गो० गौत्र से जा० यावत् ए० ऐसे व० बोले जं० जम्बूद्वीप में भं० भगवन् दी ० द्वीप में सू० सूर्य उ० ईशान कौन में उ० उदित होकर पा० अग्नि कौन में आ० जाता है पा० अग्नि कौन में उ० उदित होकर दा० नैऋत्य कौन में आ जाता है दा० नैऋत्य कौन में उ० मोसढे, जाव परिसा पडिगया ॥ २ ॥ तेणं कालेणं, तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूईणामे अणगारे गोयम गोत्तेणं जाव एवंत्रयासीजंबुद्दीवेण भंते ! दीवे सूरिया उईणपाईण मुग्गच्छ पाईणदाहिण मागच्छं । { की ईशान कौन में पूर्णभद्र यक्ष का उद्यान था, उस का वर्णन उववाइ सूत्र से जानना. वहां पर तप { संयम से आत्मा को भावते हुवे श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी पधारे, परिषदा वंदन करने को आई. धर्मोपदेश सुनकर पीछी गई || २ || उस काल उस समय में श्री श्रमण भगवन्त महावीर स्वामी के ज्येष्ट | (अंतेवासी गौतम गोत्रीय इन्द्रभूति अनगारने ऐसा प्रश्न किया कि अहो भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्य उत्तर पूर्व- ईशान-कौन में उदित होकर पूर्वदक्षिण अनि कौन में क्या अस्त होता है ? अनि कोन में उदित { होकर दक्षिणपश्चिम-नैऋत्य कौन में क्या अस्त होता है ? नैऋत्य कौन में उदित होकर पश्चिमउत्तर * प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी ६०२
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy