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________________ शब्दार्थ भावार्थ ॥ पंचम शतकम् ॥ चं० वंश २० सूर्य अ० वायु गं० निः निर्ग्रन्थ रा० राजगृह चं० चपा चं० काल ते ० उस स० समय में चं० चपा ना० नाम की न० पाए, रवि, अनिल, गंठिय सद्दे, छउ, माउ चंदमय दस पंचमम्मि सए ||१|| तेणं कालेणं dora || तीसे पाए नयरीए पुण्णभद्दे नामं चौथे शतक के अंत में लेश्या कही. वह लेश्या लेश्याषन्त ग्रन्थि स० शब्द छ० छन्नस्थ आ० आयुष्य ए० कंपना चंद्र द० दश पं० पाचवे स० शतक में ॥ १ ॥ ते ० उस का० नगरी हो० थी व० वर्णन योग्य ती० उस चं०) एयणं, नियंठे ॥ रायगिहं चंपा तेणं समएणं चंपानामं नयरी होत्था, चेइए होत्था, चण्णओ सामीसपुरुषों को आयुष्य का बंध करती है. { आयुष्य का बंध को क्षय करनेवाला काल है इसलिये पांचवे शतक में काल की वक्तव्यता करेंगे. इस पांचवे शतक के दश उदेशे कहे हैं. प्रथम उद्देशे में चंपा नगरी में सूर्य संबंधि प्रश्न पूछे हैं, दूसरे में वायु संबंधी प्रश्न पूछे हैं, तीसरे में जालग्रन्थिका निर्णय किया है, चौथे में शब्द का निर्णय, पांचने में छद्मस्थ की वक्तव्यता, छठे में आयुष्य के बंध का अधिकार, सातवे में पुद्गल चलने का अधिकार, आठवे में निग्रन्थ पुत्र के प्रश्नोत्तर, नववे में राजगृह नगर का अधिकार व दशवे में चंपा में चंद्रमा संबंध प्रश्न ॥१॥ } ॐ उस काल उस समय में चंपा नामकी नगरी थी. उस का वर्णन उववाइ सूत्र से जानना. उस चंपा नगरी 44- पंचमाङ्ग विवाह पष्णात्ते ( भगवती ) सूत्र 4 do OYO - पांचवा शतकका पहिला उद्देशा ६०१
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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