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शब्दार्थ
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पंचमांग विवाह पम्पत्ति (भगवती) मूत्र
जो ज्योतिषियों के दो दो दे देव ० चंद्र सू० सूर्य ॥ १३ ॥ सो• सौधर्म ई० ईशान में क.. कितने दे. देव आ० आधिपत्य वि. विचरते हैं गो० गौतम द० दशदेव वि० विचरते हैं स० शक्र दे० देवेन्द्र दे० देवराजा सो० सोम ज० यम ब० वरुण वे० वैश्रमण ई० ईशान ए. यह व० बक्तव्यता स० १ वाणं दो देवा आहेवचं जाब विहरति. तंजहा. चंदे, सृरेय ॥ १३ ॥ सोहम्भीसाणे
सुणं भंते ! कप्पेसु कहदेवा आहेवचं जाव विहरंति ? गोयमा ! दसदेवा जाव । विहरंति, तनहा-सके देविंदे देवराथा, सोमे, जमे, वरुणे वेसमणे ; ईसाणे देविंदे
देवराया सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे ॥१४॥ एसा वत्तन्वया सव्वेसुवि कप्पेसु एएचेव । जाति के देव काते हैं. आणपनी, पाणपत्री, इसीवाय, भुइवाय, कन्दिय, महाकन्दिय, कोहंग व पयंग 1 देव. इन आठों को दो २ देव अधिपतिपना करते हैं. उन के नाम सन्निहित, सामानिक, घाइ, बधाइ, इसी, इसीवाल, ईश्वर, महेपर, सुबत्य, विशाल, हास, हासरति, सेय, महासेय, पयग, पयगवति. यों सोलह वाणव्यंतर के ३२ देव होते हैं ॥ १२॥ ज्योतिषी देव को दो देव अधिपतिपना करते हैं. चन्द्र व सूर्य ॥ १३ ॥ सौर्य ईशान देवलोक में दश देव अधिपतिपना करते हैं. शक्र देवेन्द्र, ईशान देवेन्द्र है। और उन के सोम, यम, वरुण व पैश्रमण नामक चार २ लोकपाल ॥ १४ ॥ तीसरे चौथे देवलोक में दश देव अधिपति हैं. सनत्कमारेन्द्र व माहेन्द्र और उन के सोमादि चार २ लोकपाल. ऐसे ही पांचवे छठे
तीसरा शतक का आठवा उद्देशा
भावार्थ
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