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________________ 4 ब्दार्थ 28 8 पंचमांग वाह पण्णत्ति (भगवनी) रूप ज. जलकान्त ज० जलप्रभ ॥ ७ ॥ दि० दिशांकुमार को अ० अमितगति अ० अमितवाहन तु०११ त्वरितगति खि० क्षिप्रगति मी० सिंहगति सी० सिंह विक्रमगति ॥८॥ वा. वायुकुमार को बे० लंब 40 प्रभंजन का काल म० महाकाल अं० अंजन रि०रिष्ठ ॥ ९ ॥ थ० स्थनिन कुमार को घो० घो म० महाघोष आ० आवर्त वि. व्यावर्त नं नंदियावर्त म० महानंदियावर्त ऐ. ऐसे भा० कहना ज० अ० असुरकुमार को ॥ १० ॥ पि० पिशाच की पु० पृच्छा गो• गौतम दो० दो दे० देव आ० आधि जलप्पभा ॥ ७ ॥ दिसाकुमाराणं अमियगई, अमियवाहणे, तुरियगई, खिप्पगई, सीहगई, सीहविक्कमगई ॥ ८ ॥ वाउकुमाराणं बेलंब, पभंजण, काल, महाकाल, अंजण, रिट्ठा, ॥ ९ ॥ थणियकुमाराणं घोस, महाघोस, आवत्त, वियावत्त, नंदि यावत्त, महानंदियावत्ता एवं भाणियब्वं ॥ जहा असुरकुमाराणं ॥ १० ॥ सोमेय. जलप्रभ एसे चार २ लोकपाल कहे हैं. ॥७॥ दिशा कुमार को अमितगति अमितमाहन ऐसे दो इन्द्र उन के इसरित गति, क्षिप्रगति, सिंहगति व सिंह विक्रमगति ऐसे चार २ लोकपाल हैं ॥८॥ वायकुमार को वेलम्ब व अभंजन एसे दो इन्द्र और उन के काल, महाकाल, अंजन व रिष्ट ऐसे चार २ लोकपाल ॥९॥स्थनित कुमार के घोष व महाघोष ऐसे दो इन्द्र और आवर्त, वियावर्त, नंदियावर्त व महानंदियावर्त ऐसे चार २ लोकपाल इस तरह भुवनपति के२०इन्द्र व८०लोकपाल मालकर १०० हुए. ॥१०॥ सोम नामक लोकपाल का नाम कहते तीसरा शतकका आठवा उद्देशा भावार्थ 48
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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