________________
य कुमार की पु० पृच्छा गो० गौतम द० दश दे० देव आ० आधिपत्य जा० यावत् वि. विचरते हैं ध० 188 धरण ना० नागकुमारेन्द्र ना० नाग कुमार राजा का कालवाल को० कोलवाल सं० शंखवाल से०
शेलवाल भू० भूतानेन्द्र ज. जैसे ना० नागकुमारेन्द्र की ए० इस व० वक्तव्यता से ए० यह ए. ऐसे इ० इनका ने० जानना ॥ २ ॥ मु० सुवर्ण कुमार का वे० वेणुदेव वे० वणुदाल चि० चित्र वि० विचित्र
दसदेवा आहेवच्चं जाब विहरंति तंजहा-धरणे, नागकुमारिंदे, नागकुमारराया, कालवाले, कोलवाले, सेलवाले, संखवाले ॥ भूयाणिंदे नागकुमारिंदे नागकुमारराया कालवाले, कोलवाले, संखवाले, सेलवाले ॥ जहा नागकुमारिंदाणं एयाए वत्तव्वयाए,
एतं एवं इमाणं नेयव्वं ॥ २ ॥ सुवण्णकुमाराणं वेणुदेवे, वेणुदाली, चिते, विचित्ते । बलि नायक वैरोचनेन्द्र और उन के सोम, यम, वरुण व श्रमण नामक लोकपाल यह दश हुए ॥ १ ॥ अहो भगवन् ! नाग कुमार देव के कितने अधिपति देव कह हैं? अहो गौतम ! दश आधिपति देव
कहे हैं. दक्षिण दिशा के धरण नामक नाग कुमारेन्द्र और उन के कालवाल, कोलवाल, संखवाल व से-है otoलवाल यह चार लोकपाल; और उत्तर दिशा के भूतानेन्द्र व उन के कालवालादि चार लोकपाल मीलकर
दश हुए ॥ २ ॥ सुवर्ण कुमार को दश देव अधिपतिपना करनेवाले हैं. वेणुदेव और वेणुदाल ये दोनों
पंचमान विवाह पण्णत्ति (भगते) सूत्र 4884
3*3:0% तीसरा शतकका आठवा उद्देशान
-