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शब्दार्थ कुमार ना० नाग कुमारी उ उदधिकुमार उ० उदधिकुमारी य० स्थनित कुमार थ० स्थनित कुमारी जे०
जो अ० अन्य त० तथारूप स० सर्व ते वे उ• उन के वक जा० यावत् चि० रहते हैं ॥ १३ ॥ जं० ४ जंबूद्वीप के मं• मेरु की दा दक्षिण में जा जो इ० ये स० उत्पन्न होवे अ. अतिवृष्टि मं० मंदवृष्टि सु०१४
सुवृष्टि दु० खराव वृष्टि उ० पानीका उद्भेद उ० तलावादि भरावे उ० थोडा पानी वहे उ॰ बहुत पानी 45वहे १० प्रवाहचले गा ग्राम में पानीचले जा० यावत् स: सन्निवेश में पानी चले पा० माणक्षय. जा०
नागकुमारा, नागकुमारीओ, उदहिकुमारा, उदहिकमारीओ, थपियकुमारा, थणि. यकुमारीओ, जेयावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया. जाव चिटुंति ॥ १३ ॥
जंबुद्दीवेदीवे मंदरस्स पन्वयस्स दाहिणेणं जाइं इमाई समुप्पज्जति, तंजहा-अइवासाइवा, मंदवासाइवा, सुवुट्ठीइवा, दुवट्ठीइवा, उदुठभेयाइवा, उदप्पीलाइवा, उदवाहा
इवा, पवाहाइवा, गामवाहाइवा, जाव सन्निवेसवाहाइवा, पाणक्खया जाव तेसिं वा, भावार्थ
कुमार, उदधि कुमारियों, स्यनित कुमार व स्थनित कुमारियों यावत् उनका भार्यासमान कार्य करते हैं ॥१३॥ जम्बूद्वीपके मेरुकी दक्षिणमें अतिवृष्टि, मंदवृष्टि, सुवृष्टि,दुवृष्टि,पर्वतकेतट व नदियोंमें पानीका चलना,तलावादिक ।। भर कर पानी का चलना, थोडा पानी चलना, बहुत पानी चलना, ग्राम यावत् सन्निवेश वह जावे इत-3 ना पानी चलना वगैरह होवे. इस से माणियों का क्षय यावत धन वगैरह का क्षय होवे. यह सब वरुप |
387 पंचमांग विवाह पण्पत्ति ( भगवती ) सूत्र २०१80%
तीसरा शतक का सातवा उद्देशा