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शब्दार्थ देखे हैं: हां जा जाने पा० देखे से वह किं. क्या त० तथा भाव जा. जाने पा० देखे अ. अन्यथा
भा. भाव को जा० जाने पा० देखे गो गौतय णो नहीं तः तथाभाव को जा जाने पा: देखे अ० अन्यथा भाव को जा जाने पा. देखे से वह के कैसे ए. एसा बु. कहा जाता है जो नहीं त तथा भाव को जा जान पादेले अ० अन्यथा भाव को जा० जाने पा० देख गो. गौतम त उसको ए. ऐसा भ० होवे अ मैं रा० राजगृहनगर की स० विकर्षणा कर वा० वाणारसी न० नगरी में रू०
नाणलहीए वाणारसिं नगरिं समोहए समोहणित्ता रायगिहे नयरे रुवाइं जाणइ पासइ ? हंता जाणइ पासइ ॥ से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहा भावं जाणइ पासइ ? गोयमा ! णो तहाभावं जाणइ पासइ अण्णहा भावं जाणइ पासइ॥ से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ णो तहाभावं जाणइ पासइ अण्णहा भावं जाणइ
पासइ ? गोयमा ! तस्सणं एवं भनइ एवं खल अहं रायगिहे नयरे समोहए समोह
तथ्य जाने नहीं व देखे नहीं परंतु अन्यथा भाव जाने व देखे. अहो भगवन् ! किस तरह वह यथातथ्य भाव भावार्थ
जाने, देखे नहीं; परंतु अन्यथा भाव जाने, देखे ? अहो गौतम ! उन को ऐसा हावे कि अहो । अभने राजगड नगरी का वैकेय किया और बाणारसी नगरी में रहे हुने मनुष्य पशु वगैरह के रूप देख १२७
रहा हूं. इस तरह उन अन्य दर्शनियों को दृष्टि की विपरीनता से मति की विपरीतता होती है. जैसे ।
80 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती)
-08-28तीसरा शतकका छठा उद्दशा g>45