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शब्दार्थ
48 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋार्षजी+
॥१॥ अ अनगार भ० भगवन् भा० भावितारमा दे. देवी को वि• वैक्रेय स. समुद्घात से स. किया हुवा/यानरूप से जा. जाती जा जान पा० देखे गो. गौतम ए. ऐसे ही ॥ २॥ पूर्ववत् ॥३॥ अ. भिनगार भ० भगवन् भा. भावितात्मा रु. वृक्ष की अं० अंतर पा० देखे वा बाहिर पा० देखे
गइए नो देवं पासइ नो जाण पासइ ॥ १॥ अणगारेणं भंते ! भावियप्पा देवि है विउव्विय समुग्घाएणं समोहिय जाणरूवेणं जायमाणिं जाणइ पासइ ? गोयमा ! , एवं चेव ॥ २ ॥ अणगारेणं भंते ! भावियप्पा देवं सदेवीयं विउविय समुग्धाएणं, समोहय जाणहवेणं जायमाणं जाणइ पासइ ? गोयमा : अत्थगइए देव सदेवीयं पासइ, नो जाणं पासइ, एएणं अभिलावेणं चत्तारिभंगा ॥ ३ ॥ अणगारेणं भंते !
भावियप्पा रुक्खस्स कि अंतो पासइ बाहिं पासइ बउभंगो, ।। एवं किं मूलं पासइ, को देखते हैं और ४ कितनेक देव व विमान दोनों को नहीं देखते हैं ॥ १ ॥ अहो भगवन् ! पैक्रेय सयुद्घात से उत्तर वैकेय करके यानरूप जाती हुई देवी को क्या भावितात्मा भनगार ज्ञान से जानते हैं। व दर्शन से देखते हैं ? अहो गोतम ! देव जैने यहां पर चौभंगी जानना ॥ २॥ अहो भगवन् ! वैक्रेय समुद्घात से उसर वैकेय करके यान रूप से देवी सहित जाते हुवे देव को भावितात्मा भनगार क्या ज्ञान से जानता है व दर्शन से देवता है ? अहो गौतम ! देव जैसे इस के भी चार भांगे जानना ॥ ३ ॥
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
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