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________________ शब्दार्थ ५१२ 402 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी नीचे आने का उ० उपर जाने का का कितना क. किस से अ० अल्प ॥ ३९ ॥ त तब च. चमर. अ० असुरेंद्र व वजू का भ० भय से वि० मुक्त स० शक्र दे० देवेंद्र से ब० बहुत अ० अपमान से अ० अपमानित हुवा च० चमर चंचा रा० रज्यधानी की स० मुधर्मा सभा में च० चमर सी० सिंहासनपे उ. असुररण्णो उवयणकालरसय, उप्पयणकालस्सय, कयरे कयरहितो अप्पेवा ४, ? गोयमा ! सक्कस्सय उप्पयणकाले चमरस्सय उवयणकाले एसणं दोण्हवि तुल्ले, सव्वत्थोवे सक्कस्सय उवयण काले, वजस्सय उप्पयणकाले एसणं दोण्हवि तुल्ले संखेजगुणे, चमरस्सय उप्पयणकाले वजस्सय उवयणकाले एसणं दोण्हवि तुल्ले विसेसाहिए ॥ ३९ ॥ तएणं से चमरे असुरिंदे असुरराया वजभयविप्पमुक्के सकेणं देविदेणं देवरण्णो महया अवमाणेणं अवमाणिए समाणे चमरचंचाए रायहाणीए सभाए तीनों की परस्पर अल्पाबहुत्व करते हैं अहो भगवन् ! वज, वजाधिपति जो शक और चमर इन तीनों को उपर, नीचे जाने का काल में अल्प, बहुत्व तुल्यं या विशेषाधिक यह किस प्रकार है ? अहो गौतम ! शक्र, को उपर जाने का काल और चमर को नीचे जानेका काल परस्पर तुल्य व सब से थोडा, इस से नीचे उतरने का और वजू का उपर जाने का काल परस्पर तुल्य और संख्यात गुना इस से चमर का, उपर जाने का और वजू का नीचे आने का काल परस्पर तुल्य और विशेषाधिक ॥ ३९॥ अब चमर ** प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी भावार्थ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwara
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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