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________________ शब्दार्थ कहा मु० मुक्त अ०है भो भो च० चमर अ. अमरेंद्र स: श्रमण भ० भगवन्त म. महावीर के प०१०१० प्रभाव से न० नहीं ते. तुझे इ. अब म० मुझ से भ० भय अ० है. त्ति. ऐसा करके ज• जिस दिशि स पा० आये ता० उपदिशा में प. पीछे गये ॥३३॥ भ. भगवान् गो. गौतम स० श्रमण म० भगवन्त । म. महावीर को न० नमस्कार कर व० बोले दे. देव भं• भगवन्त म० महाऋद्धि म० महाद्युति जा. यावत् म० महानुभाग पु० पहिले पो० पुद्गल खि० फेंक कर ५० समर्थ तं० उसको अ० पीछे जाकर गे० असुरिंदं असुररायं एवं वयासी-मुक्कोसि णं भो चमरा असुरिंदा असुरराया । समणस्स भगवओ महावीरस्स पभावणं, नाहिं तेदाणिं ममाओ भयमत्थि त्तिकटु, जामेव दिसिं .. पाउब्भए तामेव दिसिं पडिगए । ३३ ॥ भंतेत्ति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ नमसइत्ता, एवं वयासी देवेणं भंते ? महिट्ठीए महज्जुईए ' जाय महाणुभागे पुयामेव पोग्गलं खिवित्ता पभ तमेव अणुपरियटित्ताणं गेण्हित्तए अरे असुरेन्द्र अमुरका राजा चमर ! श्री श्रमण भगवन्त महावीर स्वामी के प्रभाव मे मेरी तर्फ से 90 तुझे भय नहीं है ऐसा करके जहां से आया था वहां पीछा गया ॥ ३३ ॥ यहां पर प्रस्तरादि। [ पत्थर ] पुद्गल फेंके पीछे मनुष्य पीछा लेने को ममर्थ नहीं होता है तो देव क्या समर्थ होवे. शक्रने 15 वज्र फेंका और पीछा बज ले लिया इमलिये उस का यहां पर प्रश्न करते हैं. श्री गौतम स्वामी महाकीर है। 4808 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती ) मूत्र 888%> 3 तीसरा शतकका दूसरा उद्देशा8088
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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