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शब्दार्थ |
भावार्थ
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२०३ अनुवादक ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषीजी
जाः यावत् दो० दूसरी वक्त दे० वैक्रेय मुद्यात स० नीकालकर ए एक म० वडा घो० घोर घ० चोराकार भी ० विकराल भा० भयंकर भ० भयानीत गं० गंभीर उ० उद्वेग उपजावे का कृष्ण मध्य रात्रि मा० उडद सं० सरिखा जो ० योजन स० लाख प० बडा शरीर को वि० विकुर्वणा कर अ० पछाडे व० कूदकर ग० गर्जना कर ह० हयस्वर क करके ह० हस्तिका शब्द क० करके २० रथका घन घन क० करके पा० पांच पछाड कर भू भूमि को च० द० देकर मी० सिंहनाद न० करके उ० उच्छा भागं अवकमइ अवकमइत्ता वेउन्विय समुग्धाएणं समोहणइ समोहणइत्ता जाव दोपि उव्वियसमुग्धाएणं समोहणइ समोहणइत्ता, एगं महं घोरं, घोरागारं भीमं, भीमागारं भासुरं, भयाणीयं, गंभीरं उत्तासणयं कालड्डूरत्तंमासरासि संकासं जोयण सयसाहस्तीयं महाबोंदिं विउव्वइ, बिउव्वइत्ता अप्फोडेइ, अप्फोडेइत्ता वग्ग वग्गइत्ता गजइ, गजइत्ता हयहेसियं करेइ, करेइत्ता हत्थिगुलगुलाइयं करेइ, करेइत्ता वैक्रेय समुद्घात करके प्रदेश बाहिर नीकाले यावत् दूसरी वक्त वैक्रेय समुद्घात करके एक वडा, घोर, घोर आकारवाला, भीम, भीम आकारवाला, देदीप्यमान, भयलानेवाला, गंभीर, उद्वेग उत्पन्न करनेवाला. श्याम आधीरात्रि व उड़द समान एक लक्ष योजन का शरीर बनाया. शरीर बना करके दोनों हाथ की हथेलियों या दोनों भुजाओं को करस्फोट करता, हाथ से कूटता हुवा, जोर से बगासी खाता हुवा, घन
* प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
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