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________________ - शब्दाय | सूत्र भावार्थ समा यावदसी चौधर्म देवलोक प० देखे ॥ २१ ॥ त० तहां स० शक्र दे० देवेन्द्र म० मघव पा० पाऊ शासन स० शतक्रतु सब सहने वाला व० बज पा० इरुत में पु० पुरंदर जा० यावत् द० दशदिशा { में उ० उद्योत करते प० प्रकाश करते सो० सौधर्म देवलोक सो० सौधर्म व वर्डिशक विमान सु० सुधर्मा ) सभा में स शक्र के सी सिंहासनपे जा०यावत् दि०दीव्य भो भोग भुं० भोगते प्रा० देखे पा० देखकर ॥ २२ ॥ } ए० इसरूप अ० आत्मिक चिं० चिन्तवन पर स्मरण रूप म० मनोगत सं० संकल्प स० उत्पन्न हुवा बसाए ओहिणा आभोइए जात्र सोहम्मे कप्पे पासइय ॥ २१ ॥ तत्थ सकं देविंद देवरायें मघवं, पागसासणं, सयक्कउं, सहस्सक्खं, वज्जपाणि, पुरंदरं, जाव दसदिसाओ उज्जोवैमाणं, पभासेमाणं सोहम्मेकप्पे सोहम्म वर्डिसए त्रिमाणे सभाए सुहम्माए सर्कस सीहासणंसि जाव दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ, {देवलोक देखने लगा ॥ २१ ॥ वहां पर मेघमाली को क्च में रखनेवाला, पाक नामक बलिष्ट रिपु को (पराजित करनेवाला, कार्तिक शेठ के भव में एक सो प्रतिमा का अभिग्रह करनेवाला, सहस्र नयनवाला, वज्र धारण करनेवाला, और असुर कुमार देव का विदारन करनेवाला ऐसा शकेन्द्र को उद्योत [करता व प्रकाशता दुवा सोधर्म देवलोक में सौधर्म बर्डिसम नामक विमान की सुधर्मा सभा में सिंहासन पर दीव्य भोग भोगरता हुआ देखा ॥ २३॥फीर ऐसा अध्यवसाय, चितवन, मनोगत संकल्प हुनरा कि अप्रार्थित की हस्त में 48+ पंचमाङ्ग विवाह पण्णाचे ( भगवती ) सूत्र 48 तीसरा दूसरा देश 4 ૪૨
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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