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________________ - शब्दार्थ असुर राजा उ० ऊर्ध्व जा. यावत् सो० सौधर्म देवलोक ॥ १२ ॥ अ० अहो भ० भगवन् च चमरा राजा की म० महाऋद्धिं म० महायुति जाव्यावत् के०कहां प० प्रवेश हुइ कूकूडागार शाला दि० दृष्टान्त । भा० कहना ॥ १४ ॥ च. चमर .. भगवन् अ० अमरेन्द्र अ० असुर राजा की सा. वह दीव्य दे. वद्धि कि किससे ल. लब्ध एक ऐसे गो. गौतम ते. उस काल से उस समय में इ० इस जं. जंबूद्वीप में भ० भरत क्षेत्र में कि विंध्याचल पर्वत की प० नजदीक बे० बेभेल स० सनिवेश हो• था । __ इयं पुल्वे जाव सोहम्मे कप्पे ? हंता गोयमा, !. एसवियणं चमरे असुरिंदे, असुरराया उड्डे उप्पइयं पुल्वे जाव सोहम्मे कप्पे ॥ १३ ॥ अहोणं भंते चमरे. असुरिंदे असुर. राया महिड्डीए महजुत्तीए जाव.कहिं पविट्ठा ? कूडागारसाला दिटुंतो भाणियव्वो॥१४॥ E, चमरेणं भंते ! असुरिंदेणं असुररण्णो सा.दिव्वा देवड्डी तंचव किण्णालडा ३,एवं खलु अहो भगवन् ! यह चमर नामक असुरेंद्र पहिले क्या सौधर्म देवलोक में मया ? हां गौतम ! यह चमर नामक असुरेंद्र पहिले सौधर्म देवलोक में गया ॥ १३॥ अहो भगवन् ! इस चमर नामक असुरेंद्र की महासद्धि महाद्युति वगैरह कहां चलीगई ? अहो गौतम ! कुटागार शाला जैसे पीछी शरीर में चलीग ॥ १४ ॥ अहो भगवन् ! चमर नामक असुरेंद्र असुरराजाको ऐसी दीव्य देवर्द्धि कैसे प्राप्त हुई य सन्मुख हुई ? अहो गौतम! उस काल उस समय में इस जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में विन्ध्याचल 49 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm काशक-राजावहादुर लाला मुखदेवसहायी चालाप्रसादजी. भावाथ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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