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________________ । ४५८ शब्दार्थ देवेन्द्र की अं०. पास पर आने को हं० हा प... समर्थ से वह भगवन् कि० क्या आ० बोकाया, अ विना बोलाया गो०. गौतमः भा० बोलाया णो० नहीं अ० विना बोलाया ॥ ५३॥ १०. समर्थ ई० ईशान दे० देवेंद्र स० कक्र दे.२ देवराजा की अं• पाप्त पा० आने को है ० हां ५०. समर्थ से० बहू भं०, भगवत् देविंदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरणो अंतियं पाउब्भवित्तए ? हंता पभू । से । भंते किं आढामाणे पभू अणाढामाणे पभू ? गोयमा ! आढामाणे पभ, णो अणाढा. माणे पभू ॥ ५१ ॥ पभूणं भंते ईसाणे देविंद देवराया सक्कस्स देवरण्णो- अंतियं पाउब्भवित्तए ? हंता पभू । से भंते ! किं आढामाणे पभू, अणाढामाणे पभू ? भगवन् ! शक्र देवेन्द्र ईशान देवेन्द्र की पास: प्रगट होने को क्या समर्थ है ? हां. गौतम. ! शक्रेन्द्र ईशानेन्द्र की पास आने को समर्थ है. तब अहो भगवन् ! क्या वह बोलाये हुवे. या विना बोलाये हुए आने को सर्थ है ? अहो मौतम ! ईशानेन्द्रकी पास शकेन्द्र बोलानेपर आने को ममर्थ है, परंतु विना बोलाये आन को समर्थ नहीं है ॥ ५१ ॥ अहो भगवन् ! ईशानेन्द्र शक्रेन्द्र की पास आने को समर्थ है ? हा ग्वाम ! ईशानेद्र शक्रेन्द्र की पास आने को समर्थ है. अहो भगान् ! यह क्या बोलाये हुए आने को समर्थ है या किना बोलाये हुए आने को समर्थ है ? अहो गौतम ! ओलाये हुए भी आने को समर्थ है.. 03 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी wammananAm प्रकाश राजाबहादुर लाला सुखंदैव सहायजी जालाप्रसादजी भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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