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शब्दार्थों,
पंचमांग विवाह पएणचि ( भगवती) मूत्र
अ०. अत्रज्ञाकरे त० तर्जनाकरे ता ताडनकरे पर कदर्थनाकरे प० दुःखदे आ. इधर उधर क० करे हॉ० हीलनाकर जा. यावत् आ० इधर उधर क० करके ए० एकान्त में ए० रखकर दा० जिसदिशि से पार आये ता. उसदिशि में प० पीछेगये ॥ ४० ॥त. तब ई. ईशान देवलोक में रहने वाले वे० वैमानिक
देव दे० देवी ब. बलीचंचा रा० राज्यधानी में व० रहने वाले ब. बहुत अ० असुर कुमार दे० देवई ४४९ दे० देवी से ता० तामलि पा० बालतपस्वी का स० शरीर को ही हीलना करते नि• निंदाकरते जा० यावत् आ०इनर उधर की करते पार देखकर आ शीघ्र आसुरक्त जा यावत् मि० देदीप्यमान होते जे०जहां विसंति, गरहंति, अत्रमण्यति, तजिंति, तालेति, परिवहति, पबहंति, आकङ्क विकद्धि ।
करंति, हीलेता जाव आकडू विकड्मुिकरेत्ता, एगंते एडतिर ता, जामेवदिसि पाउम्भूया, - तामेवादसि पडिगया ॥ ४० ॥ तएणं ते ईसाण कम्पवासी बहः वेमाणिया देवाय... : देधीओय बलिचंचा रायहाणि वत्थव्वएहिं, बहूहि असुरकुमारेहि, देवेोहिय देवीहिय.
तामालस्स बालतवस्सिस्स सरीरयं हीलिज़माणं, निंदिजमाणं, खिसिजमाणं जाव : उत्पन्न हुवा सो कौन ? इस तरह तामली तापस के शरीर की हिलना, निंदा तिरस्कार व गर्दा करनेलमे. अवगणना करने लगे, हस्तादि से ताडना करने लगे, और जात्यादिक की हिलना, विशेष हिलना करने का लगे, ऐसा करके उस के शरीर को एकान्त में डालकर: जहां से आये थे वहां पीछे चले गये ॥ ४० ॥ उस समय में ईशान देवलोक में रहनेवाले बहुत देव कै देवियोंने बलिया राज्यवानी में रहनेवाले देर देवी को ।
4880सीसरा शतक का पहिला उद्देशा88
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