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________________ शब्दार्थ वा. बाये पांच सुं. रस्सी से बाबा क. बांधकर ति तीनवार मु. मुख में उ. धुके उ. थुककर ता. सामूलिप्सी न. नगरी में सि. सिंघाडे जैसे तिबीनच. चार प. चच्चर च. चतुर्मुख म. बडा रस्तापर आ. इधर उधर क० करते म मोटे मोटे स० पद से उ० उघोषणा करते ए. ऐसा प० बोले से. वह के. कोन ता० तायली या बाल तपस्वी स स्वयं गलीया हुवा पा०प्रणाम प्रवासे प०दीक्षित के कोन से वह ई० ईशान देवलोक में ई. ईशान देवेन्द्र दे. देवराजा तिः ऐमा करके ता० तामली पा० बालतपस्वी का स. शीर की ही. हीलनाकरे निं० निदाकरे खि. विशेष निंदाकरे ग. गर्दा करे ध्छइत्ता, वामे पाए सुंवेणं बंघति बंधइत्ता, तिक्खुत्तो मुहे उडुइंति २ त्ता तामाल. तीए गयरीए सिंवाडग तिय चउक्क चञ्चर चउम्मुह महापह पहेसु आकविकदि। करेमाणा महया महया सदेणं उग्घोसेमाणा उग्योसेमाणा एवं वयासी सेकेणं भो तामला बालतबस्सी सयं गहियलिंगे पाणामाए पव्यजाए पन्वइए, के सणं से ईसाणे कप्पे ईसाणे देविंद देवरायातिकटु, तामलिरस बालतयस्सिरस सरीरयं हीलेंति, निंदति वक्त उस के मुंह में धुके. थुककर उस नगरी के सिंघाडे के आकारवाले यावत् बहुत रस्तेवाले चौक में रस्मी से उस के शरीर को घसीटते जये, और उदयोषणा करने लगे कि अहो लोको ! स्वयं मनः भकल्पित प्रणाम प्रवर्ध्या अंगीकार करनेवाला एसा तामली तापम कोन? ईशान देवलोक में देवतापने 13 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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