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4 में व० रहने वाले व बहुत अ अनुर कुमार दे० देव दे देवी ता तामलि बा० बालतपस्वी को का० । 14 काल को प्राप्त जा. जानकर ईशान देवलोक में दे० देवेन्द्रपने उ० उत्पन्न हुवा पा० देखकर आ०१
आसुरक्त कु. कुपित्त हुवे चं० रौद्ररूप वाले हुने मि० देदीप्यमान होते २० बलिचंचा रा० राज्यधामी के म०३४ मध्य से नि० नीकलकर ता० उस.. उत्कृष्टगति से जा. यावत् जे० जहां भा. भरत क्षेत्र जे. जहां ता• तामूलिप्ती न० नगरी जे० जहाँ ता० तामलि बार बालतपस्वी का स० शरीर ते० तहां उ० आकर
देवीओय तामलिं बालतवरित कालगयं जाणित्ता ईसाणेय कप्पे देविंदत्ताए उववणं पासित्ता, आसुरुत्ता कुविका चंडिकिया, मिसिमिसेमाणा बलिचंचाए रायहाणीए मझं.
मझेगं निगच्छंति, निगछतित्ता, ताए उक्विट्ठाए जाव जेणेव भारहेवासे जेणेव ता.. 3 मलित्ती णयरी, जेणेव तामलिस्स चाल तवसिस्स सरीरए तेणेव उवागच्छंति, उवाग1. देव देवियोंने तामली तपस्वी को काल प्राप्त हुना जानकर व ईशान देवलोक में इन्द्र बना हुवा देख कर
क्रोध में आसुरक्त हुए, कोप में धमधमायमान हुए, अत्यंत द्वेष भाव प्रगट हुवा, और मीसमास दांत पीसने लगे. फीर बलिचंचा राज्यधानी में से नीकालकर उत्कृष्ट चंडा, चपला, शीघ्र, दीव्य देवगति से ताम्रलिपी नगरी के बाहिर तामली तापसका शरीर था वहां आये. और उस का बायां पांव रस्सी से बांधकर सीम
पंचमांग विवाह पण्णनि (भगवती) सूत्र
48 तीसरा शतकका पहिला जशा
भावार्थ
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