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________________ शब्दार्थ 4887 पंचमात विवाह पणत्ति (मगवती) सूत्र 4882 वा बालतपस्त्री से अ० अनादर कराये हुवे अ अच्छा नहीं जाने हुने जा जिस दि० दिशिसे पा० आये सा. उसदिशि में प० पीछेगये ॥ ३६ ॥ ते. उस काल ते. उस समय में ई. ईशान देवलोक अ० इन्द्र रहित अ० पुरोहित रहित हो • या ॥ ३७ ॥ त० तब से वह ता० तामली बा० बालतपस्वी ब० बहुत ५० प्रतिपूर्ण स० साठ सहस्रवर्ष प० पर्याय पा. पालकर दो दोमास की सं० संलेखना मे अ० आत्मा को यू० भूसकर स० वीससहित भ० भक्त शत अ० अनशन 'छे० छेदकर का. काल के अवसर में का० रायहाणि वत्थन्वया बहवे असुरकुमारा देवाय देवीओय तामलिणा बालतवरिसणा अणाडाइजमाणा अपरियाइजमाणा जामेव दिसिं पाउब्भया तामेवदिसिंपडिगया॥३६॥तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे कप्पे अर्णिदे अपुरोहिए यावि होत्था; ॥३७॥ तएणं से तामली चालतवस्सी बहुपडिपुण्णाई सटुिं वास सहस्साई परियागं पाउणित्ता दो मासियाए संले हणाए अत्ताणंझुसित्ता, रुबील भातसयं अगसणाए छेदित्ता, कालमास कालं किच्चा इस तरह बलिचंचा राज्यधानी में रहने वाले देवता देवियों का कहना तामली तापम ने सुना नहीं वैसे 9 ही अच्छा नाना नहीं इस से वे जहां से आये थे वहां पाछे गये ॥ ३६ ॥ उस काल उस समय में ईशान । नामक देवलोक में इन्द्र चवने से वह भी इन्द्र रहित पुरोहित रहित हुषा ।। ३७ ॥ तामली तापस साठ हजार पर्ष पर्यंत प्रवा पालकर, दो मास की संलेखना से आत्मा को असकर, एकसो बीस भक्त अनशन में 48 तीसरा तक का पहिला उद्देशा > BRON भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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