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________________ शब्दार्थ is ४२३ पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) मूत्र विचरने लगे ॥ १९ ॥ त० तब त श्रमण भ• भगवन्त म. महावीर अ० कोई वक्त मो० मोया न० नगरी के नं० नंदन चे उद्यान से प० निकलकर ब० बाहिर ज० अन्य देश में वि० विचरने लगे॥२०॥ ते. उस काल ते. उस समय में रा. राजगृह न० नगर होच्या व० वर्णनवाला जा. यावत् प० परिषदा ५० पूजते ते. उस काल ते. उस समय में ई. ईशान दे० देवेन्द्र दे० देवराजा सू० मूल पा. हस्त में 20 व० वृषभ वा. वाहन वाले उ० उत्तरार्ध लोक के अ० अधिपति अ० अठावीस वि० विमान स० लक्ष के से १ ॥ १९ ॥ तएणं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाई मोयाओ नगरीओ नंदणाओ. चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमइत्ता बहिया जणवय विहार विहरइ ॥२०॥.. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे होत्था वण्णओ जाव परिसा पज्जुवासइ ॥ । तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे देविंदे देवराया सूलपाणी, वसहवाहणे, उत्तरड्डलगे ॥ १९ ॥ एकदा श्री श्रमण भगवन्त महावीर स्वामी मोया नामक नगरी के नंदन नामक उद्यान में से विचरने लगे ॥ २०॥ अब ईशानेन्द्र के पूर्व भव का तामली तापसका अधिकार कहते हैं. उस ge काल उस समय में राजगृह नामक नगर था. वहां श्रमण भगवंत श्री महावीर स्वामी पधारे. परिषदा ॐ वंदन करने को आई. उस काल उस समय में हस्त में मूलका आयुध धारन करनेवाले, वृषभ का वाहन वाले, उत्तर के ऊर्ध्व दिशा के स्वामी, अठाइस. लाख विमान के अधिपति, रमरहित वस्त्र धारन करनेवाले 428-तीसग शतक का पहिला उद्देशा 8888 भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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