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शब्दाथ
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पंचगंग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
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आतापनालेते ५० प्रतिपूर्ण छ, छमास की सा. साधु पर्याय पा० पालकर अ० अर्धमास की सं० सले}41 खना से अ० आत्मा को झू० झूसकर ती० तीसभक्त अ० अनसन छे० छेदकर आ० आलोचकर ५०% प्रतिक्रमण कर स० समाधि को प्राप्त का० काल के अवसर में का• काल करके ई. ईशान देवलोक में स० स्वतः के विपान में जा० उत्पन्न हुवे व० कहना स० सर्व अ० निर्विशेष कु० कुरुदत्तपुत्र ए. विशेष सा० अधिक दो दो के. संपूर्ण जं. जंबूदीप अ० अवशेष ॥ १७ ॥ ए. ऐसे सा० सामानिक है "माणे बहुपडिपुण्णे छम्मासे सामण्ण परियागं पाउणित्ता, अद्वमासियाए संलेहणाए
अत्ताणं झसइत्ता, तीसं भत्ताइं अणसणाई छेदित्ता आलोइय पडिकते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे सयंसि विमाणसि जाइसए वत्तव्वया, सव्वेवि
अपरिसंसा कुरुदत्तपुत्तेवि, णवरं सातिरेगे दो केवल कप्पे जंबूद्दीवे दीवे, अवसेसं पारणे ओर पारणे के दिन आयंबिल ग्रहण करना ऐसे तपकर्म से अर्ब भुना रखकर, सूर्य की सन्मुख आतापना भूमि में आतापना लेते पूर्ण छ मासतक साधुना पालकर, पंदरह दिन का संथारा सहित तीस भक्त अनशन युक्त आलोचना प्रतिक्रमण करते हुवे काल कर गये. काल करके ईशान कल्प में अपने विमान में देवतापने उत्पन्न हुए, वहां से आगे सब अधिकार तिष्यक देवता जैसे कहना. इस में विशेषता इतनी कि कुरुदत्त देवता वैक्रेय रूप से साधिक दो जम्बूद्वीप को भरे ॥ १७ ॥ ऐसे ही अन्य सामानिक
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तीसरा शतकका पहिला उद्देशा8488