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________________ र्थ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिनी + नमस्कारकर जे. जहां तक तीसरा गोल गौतम वा. वायुभूति अ. अनगार ते. तहां उ० आकर न०: तीसरा गो० गौतम वा० वायुभूति अ० अनगार को एक ऐसा व कहा एक ऐसे ख. निश्चय गोभी गौतम च० चमर अ० असुरेन्द्र अ० असुर राजा म. महर्दिक तं० उमको एक ऐसे स० सर्व अ. विना पूछे वा० कथन ने० जानना अ० संपूर्ण जा. यावत् अ० अग्रमहिषी व वक्तव्यता स० संपूर्ण ॥८॥ इत. तब से वह त० तीसरा गो० गौतम वा वायुभूति अ० अनगार को दो० दूसरा गो. गौतम अ०१ अग्मिभूति अ०अनगार ए०ऐसे आ०कहतेको भा बोलते को प०विशेष कहतेको प० प्ररूपते को ए यह अर्थ च्छइ २ त्ता, तच्चं गोयम वायभई अणगार एवं वयासी एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया ए महिट्ठीए तंव एवं सव्वं अपुटुं वागरणं नेयव्वं अपरिसेसं जाव अग्गमहिसीणं वत्तव्वया सम्मत्ता ॥८॥ तएणं से तच्चे गोयमे वायुभूई अणगार दोच्चस्स गोयमस्स आग्गभूयस्स अणगारस्स एव माइक्खमाणस्स भासमाणस्स पण्ण वेमाणस्स परूवेमाणस्स एयमद्रं नो सद्दहइ नो पत्तियइ, नो रोयइ; एयमटुं असद्दहयावत् वैक्रेय करनेकी इतनी शक्ति है. यावत् अग्रमहिषियोंतक का सब अधिकार ऐसा है. इस तरह जैसे भगवन्तने फरमाया था वैसा संपूर्ण अधिकार वायुभूति अनगारको कहा ॥ ८॥ इस तरह अग्निभूतिने जो कहा उस के अर्थ की श्रद्धा, प्रतीति व रुचि वायुभूति अनगार को हुई नहीं और श्रद्धा प्रतीति व रुचि नहीं होने से . प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी* भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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