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________________ उन शब्दार्थ में सा. स्वामी स० समवसरण ५० परिषदा नि निर्गता ५० परिषदा ५० पीछीगई ॥२॥ ते• उस | काल ते. उस समय में स० श्रमण भ० भगवन्त म० महावीर के दो दूसरे अं० अंतेवासी अ० अमिभूति अ० अनगार गो० गौतम गो० गोत्र से स० सात हाथ ऊंचे जा० यावत् प० पूजते ए. ऐसा व० बोले च. चमर भं० भगवन् 4. असुरेन्द्र अ० असुरराजा के० कितना म० महर्दिक म. महाद्यतिवन्त म०१० लेणं २ सामी समोसढे परिसा निग्गच्छइ, परिसा पडिगया ॥ २ ॥ तेणं कालेणं २ समणस्स भगवओ महावीरस्स दोच्चे अंतेवासी आरंगभूईणामं अणगारे, गोयम गोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी चमेरेणं भंते ! असुरिंदे असुरराया के महिड्डीए,केमहज्जुईए,केमहाबले, के महायसे केमहासोक्खे, के महाणुभागे, भावार्थ नाम की नगरी थी. उस का वर्णन उववाइ सूत्र में चंपा नाम की नगरी जैसे कहना. उस मोया नगरी की ईशान कौन में नंदन नामक उद्यान था. उस का वर्णन भी उववाइ जैसे जानना. उस समय में श्री श्रमण भगवंत महावीर स्वामी ग्रामानुग्राम विचरते उस नंदन उद्यान में पधारे. परिषदा धर्मोपदेश सुनने को आइog 50 और सुनकर पीछीगइ ॥१॥ उस काल उस समय में भगवंत के दूसरे शिष्य गौतम गोत्रीय सात हाथ की अवगाहनावाले आग्निभूति नामक अनगार श्री भगवन्त को वंदना नमस्कार यावर पर्युपासना करते पूछनेलगे कि अहो भगवन् ! चमर नामक अनुरका राजा असुरेन्द्र कितनी ऋद्धिवाला है, कितनी द्युतिवाला है, कितना 488 पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 8882 48488 तीसरा शतक का पहिला उद्देशा -4882
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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