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शब्दार्थ
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स्पर्शे से शेष ५० प्रतिषेध ए० ऐसे अ. अधर्मास्तिकाय ए. ऐसे लो० लोकाकाश ॥२॥ १० ॥ २॥
प्पागेवेजाणुत्तरासिद्धी संखजइ भागं अंतरेसु सेसा असंखेजा ॥ बिईयसयस्स दसमो - उद्देसो सम्मत्तो ॥ २ ॥ १० ॥ विईयं सययं सम्मत्तं ॥ २ ॥ एक मीलकर ५२ हुवे. इन सब के आकाशान्तरको धर्मास्तिकायादिक संख्यातवे भाग से स्पर्शती है." शेष सब के आकाशान्तर को असंख्यातवे भाग से स्पर्शती है. यह दूसरे शतकका दशवा उद्देशा । हुवा ॥ २॥ १० ॥२॥
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भावार्थ
843 पंचमाङ्ग विवाह पण्णाति ( भगवती ) सूत्र
488080 दूसरा शतकका दशवा उद्देशा
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