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________________ शब्दार्थ 8 ३७९ शाश्वत अ० अवस्थित लो लोक द्रव्य स० संक्षेप से पं० पांच प्रकार का द० द्रव्य से अ० अनंत द्रव्य ख० क्षेत्र से लो० लोक प्रमाण मात्र का० काल से न नहीं क. कदापि व० व. आ० धा जा. यावत् नि० नित्य भा. भाव से व० वर्ण वाला गं० गंधवाला र. रसवाला फा० स्पर्श वाला गु० गुण से ग. __अट्टफासे, रूबी, अजीवे, सासए, अवट्रिए, लोगदव्वे. से समासओ पंचविहे पण्णत्ते तंजहा दव्वओ, खेत्तओ, कालओ, भावओ, गुणओ।दव्वओणंपोग्गलीत्थकाए अणंताई दवाइं, खत्तओ लोयप्पमाणमेत्ते,कालओनकयाइ न आसि जाव निच्चे भावओवण्णमंते, 4848पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) मूत्र 821 भावार्थ नहीं था वैसा नहीं, वर्तमान में नहीं है वैसा नहीं है और अनागत में नहीं होगा वैसा नहीं परंतु अतीत काल में था, वर्तमान में है, और अनागत में होगा यावत नित्य है. भाव से वर्ण,गंध,रस, स्पर्श रहित अरूपी . है. गुण से उपयोग लक्षण वाला है. अहो भगवन् ! पुद्गलास्ति काय में कितने वर्ण, गंध, रस व स्पर्श हैं? अहो गौतम ! पुद्गलास्ति कायमें पांचवर्ण, पांचरस, दो मंध, और आठ स्पर्श हैं. वह रूपी, अजीब, शाश्वत, अवस्थित यावत् लोक द्रव्य है. उस के द्रव्य से यावत् गुण से ऐसे पांच भेद किये हैं. द्रव्य से पुद्गलास्तिकाय अनंत है, क्षेत्र से लोक प्रमाण है, काल से अतीत काल में नहीं था वैसा नहीं यावत् नित्य है भाव से वर्ण, गंध, रस स्पर्श सहित है, और गुण से ग्रहणगुण वाला है अर्थात् परस्पर मीलते परिणा दूसरा शतक का दशवा उद्देशा80898
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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