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शब्दार्थ
) सूत्र विवाह पण्णात ( भगवती
विचरता ब० बहुत म० मनुष्यों का स. शब्द नि० मुने दे० देवानुप्रिय तु तुंगिया न० नगरी की 10 बाहिर पु० पुष्पवती चे० उद्यान में पा० पार्श्वनाथ के संतानिये थे० स्थविर भ० भगवन्त स० श्रमणोपासक ए. ऐसे वा० प्रश्न पु० पूछे सं० संयम से किं. क्या फ० फल त० तप से किं. क्या फ० फल तं तैसे जा० यावत् स० सत्य ए. यह अर्थ णो नहीं आ• आत्मभाव व. वक्तव्यता ५०
तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाइं वागरणाइं वागरेत्तए उदाहु असमिया? आउजियाणं भंते! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाइं वागरणाई बागरित्तए उदाहु अणाउजिया?पलिउजियाणं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाई एयारूवाइं वागरणाई वागरेत्तए उदाहु अपलिउजिया? पुन्वतवेणं अजो ! देवा देवलोएसु
उववज्जति, पव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अजो! देवा देवलोएस उववजति. भगवन् ! उन श्रावकोंने पूछे हुवे मश्नों का शास्त्र विधि से उत्तर देने को क्या वे समर्थ हैं या असमर्थ 50 हैं ? अथवा वे स्थविर भगान्त उन श्रावकों के प्रश्नों का उत्तर देने में सम्यक् प्रकार से अभ्यासवाले हैं।
या अभ्यासवाले नहीं है ? अथवा उन श्रावकों के प्रश्नों कहने को वे स्थविर भगवन्त क्या ज्ञानवन्त हैं या महानवन्वनी ? अथवाउन के मुओं के उत्तर देने में वे स्थविर भगवन्त क्या परिज्ञानवाले हैं या परिज्ञान
दूसरा शतकका पंचवा उद्देशा
भावार्थ