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________________ शब्दाथ श्री अमोलक ऋषिजी इ० स्त्री को॥१॥ उ०पानी का गगर्भ काकाल मे के कितना काल हो होवे गो• गौतम ज. जघन्य । ए. एक समय उ० उत्कृष्ट छ० छमास ॥ २॥ ति तिर्यंच का ग. गर्भ भं० भगवन् का. काल से के० कितनाकाल हो. होवे गो० गौतम ज. जघन्य अं. अंतमुहूर्त उ० उत्कृष्ट अ० आठ सं० संवत्सर ॥३॥म मनुष्यणी का ग. गर्भ भं. भगवन् का कालसे के. कितना काल हो. होवे गो० गौतम पुरिसोवा इत्थि ॥१॥ उदगगब्भेणं भंते ! उदग गब्भेति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नणं एक्कं समयं उक्कोस छम्मासा ॥ २ ॥ तिरिक्ख जोणिय ___ गम्भेणं भंते ! तिरिक्ख जोणिय गन्भेति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहन्न अंतो मुहुत्तं उक्कोसं अट्ठ संवच्छराइं ॥ ३ ॥ मणुस्सी गब्भेणं भंते ! मणुस्सी । *.भकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी भावार्थ * अनुवादक-बालब्रह्मचारी anmom पुरुष स्त्री को व स्त्री पुरुष को वेद का उदय होने पर प्रार्थना करते हैं. इसलिये एक समय में एक जीव एक ही वेद वेदता है ॥१॥परिचारणा से गर्भ रहता है इसलिये गर्भ का प्रश्न पूछते हैं. अहो भगवन् ! पानी का गर्भ कितने कालतक रहता है ? अहो गौतम ! पानी का गर्भ जघन्य एक समय उत्कृष्ट छ मास तक रहता है ॥२॥ अहो भगवन् ! तिर्यंच योनि में तिर्यंचका गर्भ किनने कालतक रहता है? अहो गौतम ! तिर्यंच का गर्भ जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट आठ संवत्सर तक रहता है ॥ ३ ॥ अहो भगवन् !
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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