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शब्दार्थ
पुरुष वेद णो० नहीं तं. उस समय में इ० स्त्रीवेद पुर
वे. वेदे इ. स्त्रीवेद का उ० उदय से नो० नहीं पु० पुरुष वेद वे वेदे पुः पुरुष वेदका उ० उदय से नो० नहीं इ. स्त्रोवेद वे० वेदे ए. ऐसे ए० एक जीव ए. एक समय में ए. एक वेद वे वेदे इ० स्त्रीवेद पु० पुरुष वेद इ० स्त्री इ० स्त्रीवेद का उ० उदय से पु० पुरुष की प० प्रार्थना करे पु०. पुरुष पु० पुरुष वेदका उ० उदय से इ० स्त्रीकी ५० प्रार्थना करे दो दोनों अ० अन्योन्य प० प्रार्थना करे इ० स्त्री पु० पुरुष को पु० पुरुष
पुरिसवेदंवा. जं समयं इत्थिवेदं वेदेइ णो तं संमयं पुरिसवेदं वेदेइ, जं समयं पुरिसवेदं वेदेइ णो तं समयं इत्थिवेदं वेएइ. इत्थिवेयस्स उदएणं ना पुरिसवेदं वेदेइ, पुरिसवे.
दस्स उदएणं णो इत्थिवेद वेदेइ । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं वेदं ___ वेदेइ. तंजहा-इत्थिवेदेवापुरिसवेदंबा. इत्थी इत्थिवेएणं उदिण्णेणं पुरिसं पत्थेइ, पुरिसोपुरि
सवेदेणं उदिण्णेणं इत्थि पत्थेइ; दो वेते अण्णमण्णं पत्येइ. तंजहा इत्थीवा पुरिसं,
वेद वेदता है. जिस समय में स्त्री वेद वेदता है उस समय में पुरुष वेद नहीं वेदता है, और जिस समय में है भावार्थ
पुरुष वेद वेदता है उस समय में स्त्रो वेद नहीं वेदता है. स्त्री वेद के उदय में पुरुष वैद नहीं और 1% पुरुष वेद के उदय में स्त्री वेद नहीं. इस तरह एक जीव एक समय में एक वेद. वेदता है. क्यों कि स्त्री
वेद के उदय में पुरुष की वांच्छा होती है और पुरुष वेद के उदय में स्त्री की वांच्छा होती है. इस तरह
पंचमांग विवाह पण्णत्ति । भगवती)
*3:008 दूसरा सतक का पांचवा उद्देशा
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