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सदाथा . विचरं ॥३॥ सतवं खदक म. अनगार सश्रमण भ० भगवन्त म. महावीर al Eततथाप ये स्थविर की ० पास सा० सामापिकादि ए० अम्बारा० अंग अ. अध्ययन करा
० बहुत प. पूर्ण दु० बारह वा. वर्ष सा. साधु की प० पर्याय पा० पालकर मा० मास की से. सलेखना से अ. आत्मा को मु० भूसकर स० साड भक्त अ. अनशम से छे. बेदकर आ. भाखोचते ५० प्रतिक्रमण करते स. समाधि प्राप्त आ• अनुक्रम से का. कालको पहुंचे ॥ ३४॥ त. तर थे. स्थविर भ० भगवन्स ख० खदक अ० अनगार को का• काल को माम मा जानकर प० परिनिषर्तिक ।
॥३३॥ सएणं से वंदए अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहासबाण थेगणं अंलिए सामाइयमाझ्याई एकारस अंगाई अहिग्झिता, बहु पद्धिपुण्णाई दुवालस वालाई सामण्ण परियागं पाउणित्ता मासिथाए संलेहणाए अत्ताणं मूसिता सष्टुिं भलाई अणसणाए छेदित्ता आलोइय पडिकते समाहिपते आणुपुब्बीए कालं गए ॥ ३४ ॥
तएणं ते थेरा भगवंतो खंदर्य अणगारं कालगयं जाणित्ता, परिमिवावत्तियं कोडर भावार्थ IF भगवन्त महावीर स्वामी के तथाकप स्थविर की पास सामायिकादि छ आवश्यक व अग्यारह अंग का
अध्ययन किया, और बारह वर्ष तक साधुपना पालकर एक मास की सैलेखना सहित भास्मा को जमकर साठ भक्त अनशन करके आलोचना भतिक्रमण करते हुवे अनुक्रम से समाधि सहित काल को मात दुवे ।
अनुवोद व पाला लचसि मुनि श्री अमोलक
राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायत्री मालापमादगी .