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शब्दार्थ
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी +
० इसलिये अ० है ता. उतने म० मेरे उ. उत्थान क० कर्म ब० बल की• वीर्य पु० पुरुषात्कार ५०१ पराक्रम तं• इसलिये जा० जहांलग ता० वे मे मेरे अ० है उ० उत्थान क० कर्म ब० बल वी. वीर्य पु० पुरुषात्कार प० पराक्रम जा० जहांलग मे मेरे ध० धर्माचार्य ध० धर्मोपदेशक स० श्रमण भ० भग-१ वन्त म. महावीर जि० जिन मु० मुग्वार्थी वि. विचरते हैं ता वहांलग मे० मुझे से श्रेय क० कल पा० प्रकट प० प्रभात में र० रात्रि को कु• विकशित उ० उत्पल क० हरिण के नेत्र को० कोमल उ० खुले कम्मेबले वीरिए पुरिसक्कार परक्कमे तं जाव तामे आत्थ उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए
पुरिसक्कार परक्कमे जाव मम धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ ताव तामे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलं
कोमलुमिलियंभि, अहपंडुरे पभाए रत्तासेरगप्पकासे,किंसुय सुयमुह गुंजत रागसरिसे, कोयले का गाडा चलते जैसा शब्द होवे वैसे ही मेरे चलने पर शब्द होता है. ताहपि मेरे में उत्थान, कर्म, बल, वीर्य, पुरुषात्कार व पराक्रम है. और जहां लग मेरे में उत्थान, कर्म, बल, वीर्य, पुरुषात्कार व पराक्रम है और जहां लग मेरे धर्माचार्य. धर्म गुरु, रागद्वेष के जीतनेवाले व मुखाश्री श्रमण भग-१ वन्त महावीर स्वामी विचर रहे हैं वहां लग विकशित कोमल कमल (हरिण के नेत्र) मे उन्मीलित, पांडुर
क-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ
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