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________________ शब्दार्थ 3 १४.४०% पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) भूत्र - Res उपधाम मेघावारवा मास में छ० वार उपवासे ते तेरह मास में अतेरह उपधाम मे चो चौदह मास बाद मामच पन्नरह उपवाम मो सोलह मान मच. मोलह उपनाम अनरंतर तालकटस सूर्य की मन्मग्य आ. आनापना भ० भूमि में आ आतापना लेते हुव र रात्रि में वीवारामन अ० नमन लव खंदक अ० अमगार गु० गणरत्नमं० संवत्सर त तप कर्म अ० जैसा सुना अ० कल्प अनुसार जा. यावन आ० आराध कर जे. जहां मा श्रमण भ० भगवन् म. महावीर ते. वहां उ० आय 3. आकर व मासं अट्ठावीसइमं अट्ठवीसइमेणं, चोदसममासं तीसइमं तीसइमेणं, पन्नर समं मास बत्तीसइमं बत्तीसइमेणं, सोलसमंमासं च उत्तीसइमं च उत्तीसइमेणं, अनिक्खित्तेणं तवो कम्मेणं दिया टाणुक्कुडुए सृराभिमुहे, आयावणभूमीए आयोवमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेणं, ॥ तएणसे खंदए .अणगारे गुणरयणं संवच्छरं तवोकम्मं अहा सुत्तं, अहाकप्पं, जाव आराहित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ करे. इस तरह सोलह पाम तक आंतरा रहित तप करे. दिन को उत्कट आसन करे, सूर्य की आतापना लेवे और रात्रि में वीरासन से वस्त्र रहित रहे. इस तरह मूत्र व कल्प अनुसार गुणरत्न संवत्सर तप कर्म को आराधकर जहां श्रमण भगवन्त महावीर थे वहां आये, यहां आकर भगवन्त महावीर दसग श्तक का पहिला उद्देशा 8%82-83 भावार्थ |
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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