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________________ - 48 पंचमात्र विवाह-पण्णत्ति (.मगवती) सूत्र रासीज़म्म णेरइयाणं भंते ! कओ उववजंति ? एवंचेव चत्तारि उद्देसगा. ॥४१॥६॥ एवं णीललेस्स अभवसिडिएहिवि चत्तारि उद्देसगा ॥ ४१ ॥ ६८॥ * ॥ एवं काउलरसेहिवि चत्तारि उद्देसगा ॥ ४१ ॥ ८२ ॥ x ॥ एवं तेउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा ॥ ४१ ॥ ७६ ॥ ४ ॥ पम्हलेस्सहिवि चत्तारि उद्देसगा ॥ ४१ ॥ ८॥ ४ ॥ सुक्कलेस्से अभवसिद्धिएहिं चत्तारि उद्देसगा ॥ एवं एएसु अट्ठावीसा एवि अभवसिद्धिय उद्देसएसु मणुस्सा जेरइयगमेणं तन्वा ॥ सेवं भंते २ ति ॥ एवं ग्तेवि अटावीसा उद्देसगा ॥ ४१ ॥ ८४ ॥ ऐसे ही चार उद्देशे ॥ ४१ ॥ ६॥ ॥ ऐसे ही नील लेश्या वाले अभवसिदिक के 8 चार उद्देशे ॥ ४१ ॥ ६८ ॥ + ॥ ऐसे ही कापुत लेश्या वाले की साथ चार उद्देशे ४१ ॥ ७२ ॥ ४ ॥ऐसे ही तेजो लेश्या की साथ चार उद्देशे ॥४१॥ ७६ ॥ पन लेश्या की साथ भी चार उद्देशे ॥ ४१ ॥ ८०॥ + शुक्ल लेश्या अभवसिद्धिक की साथ चार उद्देशे. यों अठावीस अभवसिद्धिक के उद्देशे कहे. इन में मनुष्य का नारकी के गमा जैसे काकहना ॥४१॥ ८४ ॥ समष्टि राशियुग्म कृतयुग्म नारकी कहां से उत्पन्न होते हैं ? यों जैसे पहिला एकतालीसवा शतक का ८-८४ उद्देशे 48 भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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