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शब्दार्थ AL
9 अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋपिजी
संस्थान प०पर्यव अ०अनंत गु०गुरु लघुके प०पर्यय अनंत अ० अगुरुलघु पर्यवन नहीं है से उस का अं०* अंत ख. खंदक द. द्रव्य से लो० लोक अ० अंतसहित खे० क्षेत्र से लो० लोक स. अंतसहित का काल से लो० लोक अ० अनंत भा. भाव से लो० लोक अ० अनंत ॥ १६ ॥ ख. खंदक जाम यावत् स. अंतसहित जी जीव अ० अनंत जीव त° उस का अ० यह अर्थ जा० यावत् द. द्रव्य से ए. एक जीव स० अंतसहित खे० क्षेत्र से जी जीव अ० असंख्यात १० प्रदेशिक अ० असंख्यात प्रदेश
पजवा, अणंता अगुरुयलहयपजवा, नात्थिपुणसे अते ॥ सेत्तं खंदया ! दव्वओ लोगेसअंते, खेत्तओलोए सअंते, कालओ लोए अणंते, भावओ लोए अणते. ॥ १६ ॥ जेविय ते खंदया ! जाव सअंतेजीवे अणंतेजीवे, तस्सवियणं अयमढे एवं खलु आव दव्वओणं एगेजीवे सअंते, खत्तओणं जीवे असंखेज पएसिए,
असंखज एएसोगादे, अत्थिपुण से अंते, कालओणं जीवे नकदाइ न आसि णिच्चे पर्यव, अनंत संठान पर्यव, अनंत गुरु लघु पर्यव, व अंत अनुरुप पर्या हैं. इसलिये भावसे लोक अनंत है. इसतरह से अहो सकंदक ! द्रव्य लोक अंत सहित क्षेत्र भी अंत सहित, कालसे व भाव से लोक अनंत है ॥ १६ ॥ अहा कंदक ! जीव अंत महित है या अंत रहित है उस प्रश्न के उत्तर में जीव के चार भेद कहे है। हैं द्रव्य से, क्षेत्रसे, कालसे व भावसे, द्रव्य से एकही जीव है वह द्रव्य से अंत सहित है. क्षेत्रसे अपं
*प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ